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Road Rage Case: नवजोत सिंह सिद्धू को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने 25 फरवरी टाली सुनवाई

पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को बड़ी राहत मिली है। दरअसल 27 दिसंबर, 1988 के एक मामले में सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी। पटियाला में विवाद के दौरान एक शख्स की मौत का है मामला।

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Supreme Court Adjourns Navjot Singh Sidh Road Rage Case To February 25

Supreme Court Adjourns Navjot Singh Sidh Road Rage Case To February 25

कांग्रेस के फायरब्रांड नेता और प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को 34 वर्ष पुराने मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। रोड रेज के मामले में कांग्रेस नेता को सुप्रीम कोर्ट से फौरी राहत दी है। शीर्ष अदालत ने 25 फरवरी तक के लिए इस मामले की सुनवाई टाल दी है। दरअसल, 27 दिसम्बर 1988 को सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह संधू की पटियाला में कार पार्किंग को लेकर एक अन्य बुजुर्ग शख्स गुरनाम सिंह के साथ कहासुनी हो गई थी। इस झगड़े के दौरान गुरनाम सिंह की मौत हो गई थी। इसके बाद सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह संधू पर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया था।


सिद्धू के खिलाफ पंजाब सरकार और पीड़ित परिवार की ओर से केस दर्ज करवाया गया था। लेकिन वर्ष1999 में सेशन कोर्ट से सिद्धू को राहत मिली और केस को खारिज कर दिया गया। यानी सिद्धू इस केस से बरी हो गए थे।

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सिद्धू के खिलाफ केस को खारिज करने को लेकर कोर्ट का कहना था कि आरोपी के खिलाफ पक्के सबूत नहीं हैं और ऐसे में सिर्फ शक के आधार पर केस नहीं चलाया जा सकता।


तीन साल बाद यानि वर्ष साल 2002 में पंजाब सरकार ने सिद्धू के खिलाफ एक बार फिर कदम उठाया। सरकार ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में अपील की। इसके बाद 1 दिसम्बर 2006 को हाईकोर्ट बेंच ने सिद्धू और उनके दोस्त को दोषी माना।


कोर्ट ने दोषी मानने के साथ ही 6 दिसम्बर को फैसला सुनाते हुए सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर को 3-3 साल की सजा सुनाई। इसके साथ ही एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया।

इसके अलावा इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए 10 जनवरी 2007 तक का समय दिया गया। दोनों आरोपियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई और 11 जनवरी को चंडीगढ़ की कोर्ट में सरेंडर किया गया।

इसके बाद 12 जनवरी 2007 को सिद्धू और उनके दोस्त को शीर्ष अदालत से जमानत मिल गई। सर्वोच्च न्यायालय ने सजा पर रोक लगा दी। इसके बाद शिकायतकर्ता भी कोर्ट पहुंचे और सिद्धू को दोषी करार दिए जाने की मांग की।

सुनवाई चलती रही और 15 मई 2018 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जे चेलामेश्वर और जस्टिस संजय किशन कौल की पीठ ने सिद्धू पर 1000 रुपए का जुर्माना लगाया। 2022 में एक बार फिर ये मामला सुर्खियों में है। अब इस पर शीर्ष अदालत अपना फैसला सुना सकती है।


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