7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

सुप्रीम कोर्ट ने क्यों खारिज की रेप पीड़िता की FIR, जानें क्या है पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने मामले को बदले की कार्रवाई बताते हुए शादी के बहाने बलात्कार के आरोपी व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर और आरोपपत्र को रद्द कर दिया है।

2 min read
Google source verification
Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट (File Photo)

सुप्रीम कोर्ट ने बदले की कार्रवाई बताते हुए शादी का झांसा देकर रेप करने वाले आरोपी व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर और आरोपपत्र को रद्द कर दिया है। समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने हाल ही में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया गया था।

आत्महत्या की धमकियां और गालियां देकर कर रही थी परेशान

शीर्ष कोर्ट ने कहा है कि कथित अपराध के समय महिला और पुरुष सहकर्मी थे- वह एक कंप्यूटर ऑपरेटर थी, जबकि वह स्थानीय नगर निगम में राजस्व निरीक्षक था। व्यक्ति ने महिला के खिलाफ शिकायत लेकर वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क किया, तो उसे (महिला को) कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। कारण बताओ नोटिस जारी होने के बाद महिला ने मामला दर्ज कराया। व्यक्ति ने अपनी शिकायत में कहा था कि वह उसे आत्महत्या की धमकियां और गालियां देकर परेशान कर रही थी। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, विवाहित होने के बावजूद उसका एक बेटा भी है और उसने शादी का आश्वासन देकर आरोपी के साथ शारीरिक संबंध बनाए।

जानिए क्या है पूरा मामला

एफआईआर में उसने कथित तौर पर आरोप लगाया है कि 15 मार्च, 2023 को उस व्यक्ति ने फिर से शादी का वादा करके जबरन शारीरिक संबंध बनाए। उसने आरोप लगाया कि यह दुर्व्यवहार अप्रैल तक जारी रहा। बाद में जब उसने शादी के बारे में पूछा, तो उसने कथित तौर पर इनकार कर दिया।

उत्पीड़न की शिकायतें के चार महीने बाद FIR

हालांकि, अदालत ने कहा कि एफआईआर से पहले, व्यक्ति ने उसके खिलाफ उत्पीड़न की कई शिकायतें दर्ज कराई थीं। उन्होंने नगर निगम और पुलिस अधिकारियों को ज्ञापन दिया था। इसके बाद नगर निगम ने 6 जुलाई, 2023 को उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया, जिसमें चेतावनी दी गई थी कि अगर उनके आचरण में सुधार नहीं हुआ तो उन्हें नौकरी से निकाला जा सकता है। उन्होंने इसके बाद ही एफआईआर दर्ज कराई, यानी कथित घटना के चार महीने बाद।

बदला लेने के लिए दर्ज कराई FIR

एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, यदि अपराध के विवरण को देखा जाए तो पहली नजर में शिकायतकर्ता तैयार नहीं था और उसे पक्षों के बीच अंततः विवाह के आश्वासन पर संबंध बनाने के लिए राजी किया गया था।

पहले भी सामने आ चुके है ऐसे मामले

कोर्ट ने आगे कहा कि जब उसने पूछा कि शादी कब होगी… तो अपीलकर्ता (पुरुष) ने इनकार कर दिया और उससे किसी और से शादी करने को कहा। यह पहला मौका था जब शिकायतकर्ता को एहसास हुआ कि उसका फायदा उठाया गया है, तो उसे ज़रूरी कदम उठाने चाहिए थे।

कोर्ट ने खारिज की FIR

सुप्रीम कोर्ट ने एफआईआर और आरोपपत्र को खारिज करते हुए कहा कि भले ही ऐसा नहीं किया गया हो, लेकिन यह तथ्य कि एफआईआर कारण बताओ नोटिस जारी होने के बाद दर्ज की गई थी। इससे पता चला है कि प्रतिशोध लेने के लिए एफआईआर दर्ज कराई थी।