कोरोना के बढ़ते खतरे के बीच राहत की खबर, अब 9 की बजाय 6 महीने में बूस्टर डोज लगाने की तैयारी
अनुच्छेद 21 का हिस्साThe Supreme Court on Monday held that no individual can be forced to get vaccinated and the right to bodily integrity of a person under Article 21 of the Constitution include the right to refuse vaccinate.
— Live Law (@LiveLawIndia) May 2, 2022
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह वैज्ञानिक साक्ष्यों पर आधारित है, हालांकि, किसी को भी टीका लगवाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। शीर्ष अदालत ने कहा कि, अपने शरीर पर अधिकार होना अनुच्छेद 21 का हिस्सा है। यही वजह है कि किसी को भी कोरोना की वैक्सीन लगाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।
सर्वोच्च अदालत ने कहा कि, किसी के जबरदस्ती गलत है, लेकिन महामारी जैसे गंभीर हालातों में केंद्र सरकार जरूरी नीति बना सकती है। इसके तहत सरकार बड़े और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए कुछ शर्तें भी रख सकती है। इसके साथ ही देश की शीर्ष अदालत ने वैक्सीनेशन अनिवार्य किए जाने वाली याचिका को भी खारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दिया सुझाव
शीर्ष अदालत ने सरकार को सुझाव दिया कि कोविड टीका न लगवाने वाले लोगों को सार्वजनिक सुविधाओं के इस्तेमाल से रोकने के आदेश राज्य सरकारों को हटा लेने चाहिए। इसके साथ ही कोर्ट ने वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल का आंकड़ा सार्वजनिक करने के लिए भी कहा।