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Supreme Court On Kolkata Horror: “30 साल में नहीं देखा ऐसा मामला”, यहां पढ़िए सुप्रीम कोर्ट की महत्वपूर्ण टिप्पणियां

Supreme Court: कोलकाता के आर जी कर मेडिकल कॉलेज में प्रशिक्षु डॉक्टर के रेप और मर्डर केस पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई के दौरान कहा कि पिछले 30 साल में मैंने ऐसा कोई मामला नहीं देखा।

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Kolkata RG Kar Medical College and Hospital Doctor Rape and Muder case protest

Supreme Court on Kolkata Rape and Murder case: सुप्रीम कोर्ट ने आज कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल(RG Kar Medical College and Hospital) में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के बलात्कार और हत्या से संबंधित मामले में सुनवाई फिर से शुरू की। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला (justice JB Pardiwala) और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा (justice Manoj Misra) की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कई महत्वपूर्ण टिप्पणियां की हैं। यहां आप सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पढ़ सकते हैं।

स्वास्थ्य से जुड़े पेशेवरों को काम पर लौटने दें

स्वास्थ्य विभाग से जुड़े पेशेवरों को काम पर लौटने दें और एक बार जब वे काम पर लौट आएंगे तो अदालत अधिकारियों पर प्रतिकूल कार्रवाई नहीं करने का दबाव बनाएगी।

हम जानते हैं कि डॉक्टर 36 घंटे से अधिक काम करते हैं

हमने सामान्य रूप से कामकाजी परिस्थितियों का उल्लेख किया है। हम सार्वजनिक अस्पतालों में गए हैं। जब मेरे परिवार का एक सदस्य बीमार था तो मैं एक सरकारी अस्पताल के फर्श पर सोया था। हम जानते हैं कि डॉक्टर 36 घंटे से अधिक काम करते हैं।

ड्यूटी के दौरान छेड़छाड़ का विरोध करने...

ड्यूटी लगभग 48 घंटे की होती है फिर अगर कोई आपको छेड़ रहा है तो आप न तो शारीरिक रूप से और न ही मानसिक रूप से इसका विरोध करने की स्थिति में हैं। मैं गंभीर अपराधों में भी नहीं जा रहा हूं।

बंगाल में आपराधिक प्रक्रिया संहिता का नहीं हो रहा पालन

मैंने अपने पिछले 30 वर्षों में इस तरह का कोई मामला नहीं देखा है, बंगाल में आपराधिक प्रक्रिया संहिता का पालन नहीं किया जा रहा हो।

पब्लिक हेल्थ का बुनिदायी ढांचा बरकार रहे

अगर डॉक्टर काम पर नहीं लौटेंगे तो सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा कैसे काम करेगा।

डॉक्टर काम पर लौटें, कोई उत्पीड़न नहीं होगा

डॉक्टरों को काम फिर से शुरू करना चाहिए, हम उन्हें आश्वासन देते हैं कि कोई उत्पीड़न नहीं होगा।

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