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शराब पीने वाले हो जाएं सावधान! एक गलती से हो सकता है भारी नुकसान, नहीं मिलेगा Health Insurance का क्लेम

Health Insurance Claim Rejection: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आदेश दिया है कि अगर किसी व्यक्ति ने हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) खरीदते समय शराब पीने की गलत जानकारी भरी है, तो कंपनी को उसका क्लेम (Insurance Claim) खारिज करने का अधिकार है।

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भारत

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Devika Chatraj

Mar 28, 2025

Supreme Court LIC Case: इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते समय गलत जानकारी देना पॉलिसीधारकों (Policy Holder) को महंगा पड़ सकता है। अगर मामला हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़ा हो तो यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। एक मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आदेश दिया है कि अगर किसी व्यक्ति ने हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) खरीदते समय शराब पीने की गलत जानकारी भरी है, तो कंपनी को उसका क्लेम (Insurance Claim) खारिज करने का अधिकार है। एक पॉलिसीधारक को गंभीर पेट दर्द के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था और करीब एक महीने बाद उसकी कार्डियक अरेस्ट (Cardiac Arrest) से मौत हो गई। उसकी पत्नी ने एलआइसी से इंश्योरेंस (LIC Insurance) का दावा किया, लेकिन कंपनी ने इसे यह कहकर खारिज कर दिया था कि इंश्योरेंस खरीदते समय शराब पीने की जानकारी छुपाई गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

दरअसल, पॉलिसी फॉर्म में यह सवाल था कि क्या पॉलिसीधारक शराब, सिगरेट, बीड़ी या तंबाकू का सेवन करता है? जिसका जबाव पॉलिसीधारक ने नही में दिया था। हालांकि, मेडिकल रिपोट्र्स से यह साबित हुआ कि वह लंबे समय से शराब पी रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने एलआइसी को सही ठहराते हुए कहा कि क्रॉनिक लिवर डिजीज लंबे समय तक शराब पीने से होती है, यह एक दिन में नहीं होती। पॉलिसीधारक ने जानबूझकर यह बात छुपाया, इसलिए कंपनी को दावा खारिज करने का पूरा अधिकार है। जीवन आरोग्य योजना में यह स्पष्ट रूप से लिखा है कि नशीले पदार्थों या शराब के उपयोग से जुड़ी बीमारियों के लिए इंश्योरेंस कवरेज नहीं मिलेगा।

क्या हर मामले में दावा खारिज हो सकता है?

वर्ष 2015 के सुलभा प्रकाश मोटेगांवकर बनाम LIC में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सिर्फ पूर्व-मौजूदा जानकारी छुपाने से इंश्योरेंस दावा खारिज नहीं किया जा सकता। हालांकि, अगर इंश्योरेंस कंपनी यह साबित कर दे कि अस्पताल में भर्ती होने या मृत्यु का मुख्य कारण शराब का सेवन ही था, तो दावा खारिज किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, अगर किसी को ब्रेन हेमरेज हुआ और उसने शराब पीने की जानकारी नहीं दी थी, तो इंश्योरेंस कंपनी को पहले यह साबित करना होगा कि ब्रेन हेमरेज का कारण शराब ही थी।

जस्टिस विक्रमनाथ और संदीप मेहता की पीठ ने सुनाया फैसला

यह फैसला जस्टिस विक्रमनाथ और संदीप मेहता की खंडपीठ ने गत तीन मार्च को एनसीडीआरसी के आदेश के खिलाफ दाखिल एलआईसी की अपील स्वीकार करते हुए सुनाया। शीर्ष अदालत ने एनसीडीआरसी का 12 मार्च 2020 का आदेश खारिज कर दिया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि मामले के तथ्यों को देखते हुए बीमाकर्ता की मृत्यु के बाद जो पैसा उसकी पत्नी को दिया जा चुका है, उसकी रिकवरी नहीं की जाएगी।

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