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EWS आरक्षण पर लगातार 7 वें दिन की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

Published: Sep 27, 2022 04:49:52 pm

Submitted by:

Mahima Pandey

EWS Reservation: केंद्र सरकार ने जनवरी 2019 में 103वें संविधान संशोधन के तहत EWS कोटा लागू किया था जिसके तहत सामान्य वर्ग को नौकरी और शिक्षा में 10 फीसदी तक के आरक्षण का लाभ मिलेगा। इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी जिसपर पाँच जजों की पीठ सुनवाई कर रही थी।

Supreme Court reserves verdict on pleas challenging Centre's 10 per cent EWS quota

Supreme Court reserves verdict on pleas challenging Centre’s 10 per cent EWS quota

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग यानि EWS को 10 फीसदी आरक्षण देने की संवैधानिक वैधता पर लगातार 7 वें दिन सुनवाई की। 103वें संशोधन अधिनियम, 2019 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने व;ओ याचिकाओं के एक बैच पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने इस मामले पर फैसले को सुरक्षित रख लिया है। इस मामले पर चीफ जस्टिस यू यू ललित, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस एस रवींद्र भट, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पाँच जजों की बेंच ने सुनवाई की। आज सुनवाई के अंतिम दिन याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने केंद्र सरकार की दलीलों का जवाब दिया।

दरअसल, याचिककर्ताओं की दलील है कि SC, ST और OBC में भी गरीब लोग हैं तो फिर इस आरक्षण में केवल सामान्य वर्ग के लोगों को लाभ क्यों दिया जाता है। इसके साथ ही दलील में कहा गया था कि ये आरक्षण 50 फीसदी के आरक्षण नियम का उल्लंघन करता है। इस मामले पर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील प्रोफेसर रवि वर्मा कुमार ने तर्क दिया कि केंद्र सरकार ने अभी तक आरक्षण और गरीबी के बीच के कनेक्शन को बताया या समझाया नहीं है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को आरक्षण के बजाय अन्य लाभ क्यों नहीं दिए जा सकते हैं। इस मुद्दे पर वरिष्ठ वकील गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि ये 50 फीसदी आरक्षण सीमा के ढांचे का उल्लंघन है और इसपर अपनी रिपोर्ट भी उन्होंने सबमिट की।

इस मामले पर याचिकर्ताओं की तरफ से दलीलें सबमिट की गईं जिसके बाद पाँच जजों की बेंच ने वकील शादान फरासत और वकील कानू अग्रवाल से अनुरोध किया कि वो 2-3 दिनों में सभी दलीलों और रिपोर्ट्स को लेकर कोर्ट की मदद करें। बता दें कि पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कोर्ट में दलील दी थी कि ईडब्ल्यूएस कोटे पर सामान्य वर्ग का ही अधिकार है, क्योंकि SC/ST के लोगों को पहले से ही आरक्षण के कई फायदे मिल रहे हैं।
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केंद्र सरकार ने जनवरी 2019 में संसद में 103 वां संविधान संशोधन प्रस्ताव पारित कर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को नौकरी और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण देने का ऐलान किया था। इसके बाद ये मामला कोर्ट तक पहुँच गया। 5 अगस्त 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण के खिलाफ दायर याचिकाओं को संविधान पीठ को सौंपा था।
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