scriptमैरिटल रेप अपराध है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट 9 मई को करेगा सुनवाई | SC to hear pleas seeking to criminalize marital rape on May 9, 2023 | Patrika News

मैरिटल रेप अपराध है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट 9 मई को करेगा सुनवाई

locationनई दिल्लीPublished: Mar 22, 2023 12:47:42 pm

Submitted by:

Tanay Mishra

Supreme Court On Marital Rape: देश में मैरिटल रेप अपराध घोषित किया जाना चाहिए या नहीं, इस मामले पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दिन तय कर लिया है। 9 मई को सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सुनवाई करेगा।

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Supreme Court on marital rape

देश में काफी समय से मैरिटल रेप (Marital Rape) को अपराध घोषित करने की मांग उठाई जा रही है। इस बारे में देश के सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज एक बड़ी जानकारी दी है। सुप्रीम कोर्ट ने मैरिटल रेप को अपराध घोषित किया जाए या नहीं, इस मुद्दे पर सुनवाई करने की तारीख तय कर ली है। जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट 9 मई को मैरिटल रेप को अपराध करार करने या नहीं करने के विषय पर सुनवाई करेगा। रिपोर्ट के अनुसार इस मामले को सीनियर एडवोकेट इंदिरा जय सिंह और एडवोकेट करुणा नंदी ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच के सामने आज इस मामले को उठाया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए 9 मई का दिन तय किया है।

सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने मांगा समय

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने मैरिटल रेप को अपराध करार किए जाने के मामले के बारे में सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से भी बात की और उनसे पूछा कि इस मामले पर बहस के लिए उन्हें कितना समय चाहिए। इस पर सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मामले की गंभीरता और अहमियत को देखते हुए उन्हें इस पर बहस के लिए करीब डेढ़ दिन का समय चाहिए होगा।

केंद्र का जवाब है तैयार

सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने इस मामले पर केंद्र सरकार के जवाब के बारे में भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर केंद्र सरकार का जवाब तैयार है और इस पर गौर किया जा रहा है।

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चार तरह के मामले हैं शामिल

सुप्रीम कोर्ट के सामने मैरिटल रेप के मुद्दे पर पेश याचिकाओं में चार तरह के मामले शामिल हैं।

पहला मैरिटल रेप अपवाद पर दिल्ली हाई कोर्ट के विभाजित फैसले के खिलाफ अपील है।
दूसरा मामला उन जनहित याचिकाओं के बारे में हैं जो मैरिटल रेप अपवाद के खिलाफ दायर की गई हैं।
तीसरा मामला उस याचिका के बारे में है जो कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले जिसमें पत्नी के साथ जबरन शारीरिक संबंध के लिए आईपीसी की धारा 376 के तहत एक पति के खिलाफ लगाए गए आरोपों को बरकरार रखने को चुनौती देती है।
चौथा मामला मैरिटल रेप के मुद्दे में हस्तक्षेप करने वाले अनुप्रयोग हैं।

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