
Teachers Day Special: Story of Ananad Kumar, Arvind Gupta, Rajesh Kumar Sharma & Roshani Mukjrjee
Teachers Day: किसी भी समाज या राष्ट्र का भविष्य कैसा होगा, यह शिक्षकों पर निर्भर करता है। क्योंकि वो शिक्षक भी हैं, जो भविष्य की पौध को तैयार करते हैं। मां-बाप के बाद एक गुरु ही वो इंसान होता है, जो जीवन का सही मार्ग चुनने में हमारी सहायता करता है। इसी कारण शिक्षकों का पेशा बेहद नॉवेल माना जाता है। भारत में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के मौके पर हर साल पांच सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। इस दिन सभी स्कूल, कोचिंग, कॉलेज सहित अन्य शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षकों के सम्मान में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
राष्ट्रीय स्तर पर पांच सितंबर को हर साल देश भर से चुने हुए शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान से सम्मानित किया जाता है। राष्ट्रपति के हाथों शिक्षकों को यह सम्मान मिलता है। इस साल देश भर से चुने हुए 45 शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान मिलना है। इन चुने हुए शिक्षकों से इतर भी देश में कई ऐसे शिक्षक हैं, जो अपने अकेले के दम पर लाखों बच्चों का भविष्य संवार चुके हैं। आज शिक्षक दिवस के मौके पर पढ़िए कुछ ऐसे शिक्षकों की विशेष कहानी...
अरविंद कुमार गुप्ता: यूपी के बरेली के रहने वाले अरविंद कुमार गुप्ता देश के प्रसिद्ध खिलौना अन्वेषक, अनुवादक, इंजीनियर, अध्यापक और विज्ञान संचारक हैं। अरविंद कचरे और रोजमर्रा की वस्तुओं से साधारण खिलौनों का डिजाइन तैयार कर बच्चों को खेल-खेल में विज्ञान की बारिकियां बताते हैं। वो कहते हैं कि विज्ञान केवल किताब पढ़कर सीखने की चीज नहीं है।
इसे समझने के लिए प्रैक्टिकल होना जरूरी है। इसके अलावा अरविंद वैसे गरीब बच्चे जो स्कूल नहीं जाते उनके लिए शॉर्ट फिल्म भी बनाते हैं। अरविंद गुप्ता के बनाए वीडियो 20 भाषाओं में उपलब्ध है। अभी तक अरविंद के पढ़ाए लाखों बच्चे अलग-अलग पेशे में सफलता की शिखर को चूम चुके हैं।
राजेश कुमार शर्मा: यूपी के रहने वाले राजेश कुमार शर्मा उन मां-बाप के लिए किसी भगवान से कम नहीं है, जो गरीबी के चलते अपने बच्चों को स्कूल नहीं पहुंचा पाते। राजेश दिल्ली में गरीब बच्चों को पिछले कई साल से बिन पैसा लिए उन्हें पढ़ा रहे हैं। राजेश के स्कूल में ना कोई छत है और ना ही कोई दीवार। वह पुल के नीचे बच्चों को पढ़ाते है। उनका स्कूल राजधानी की गलियों में किसी दुकान की तरह है।
उन्होंने बताया कि एक दिन एक कंस्ट्रक्शन साइट पर मजदूर के बच्चों को मलबे में खेलते और काम करते देखा। उन बच्चों से बात की तो पता चला कि उनमें से ज्यादातर बच्चे स्कूल नहीं जाते। पहले बच्चों को टॉफी और कपड़े दिए और उसके बाद उन बच्चों को पुल के नीचे पढ़ाने लगे।
रोशनी मुखर्जीः ‘लर्न ओ हब’ की क्रिएटर रोशनी मुखर्जी यूट्यूब की दुनिया में एक बेहद जानामाना नाम हैं। वो यूट्यूब पर एजुकेशनल वीडियो बनाकर शेयर करती हैं। उन्हें भारत के राष्ट्रपति की तरफ से सम्मान भी मिल चुका है। रोशनी मुखर्जी आईटी इंडस्ट्री, विप्रो और एचपी जैसी बड़े कंपनियों में काम कर चुकी हैं। 37 साल की रोशनी मुखर्जी 3 यूट्यूब चैनल चलाती हैं।
जिसमें पहला 6 से 8वीं कक्षा तक के बच्चों के लिए है। दूसरा नौवीं और 10वीं कक्षा के बच्चों के लिए और तीसरा 11वीं व 12वीं कक्षा के बच्चों के लिए। इनका एजुकेशन वीडियोज हिंदी, इंग्लिश, बंगाली भाषा में उपलब्ध है। अब जब ऑनलाइन क्लास के लिए भी कई संस्थान भारी-भरकम चार्ज करती है, ऐसे में रोशनी के वीडियो गरीब बच्चों के लिए फ्री में आसानी से उपलब्ध हो जाता है।
बिहार के आनंद कुमार किसी परिचय के मोहताज नहीं है। सुपर 30 कोचिंग संस्थान के जरिए लाखों बच्चों को आईआईटीयन बना चुके आनंद कुमार पर सुपर-30 नामक फिल्म भी बन चुकी है। एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले आनंद ने अपने सपने को तो टूटता हुआ देखा लेकिन उसके बाद उन्होंने लाखों गरीब बच्चों के सपने को सच कर दिखाया।
अब उनके सुपर 30 कोचिंग केवल बिहार के ही नहीं बल्कि पूरे देश के बच्चे एडमिशन ले सकते है और एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी कर सकते हैं। आनंद कुमार को राष्ट्रीय अतंर्राष्ट्रीय स्तर पर कई सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है।
Updated on:
05 Sept 2022 06:53 am
Published on:
05 Sept 2022 12:30 am
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