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‘पूरा गुजरात जल जाता यदि नरेंद्र मोदी…’ पूर्व राज्यसभा सांसद ने 2002 के गुजरात दंगों को लेकर किया ये बड़ा दावा

27 फरवरी 2002 को हिंदू कारसेवकों को ले जा रही साबरमती एक्सप्रेस को भीड़ ने आग लगा दी थी, इस घटना में महिलाओं और बच्चों सहित 59 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद प्रदेश में दंगे फैल गए थे।

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भारत

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Ashib Khan

Aug 27, 2025

तरलोचन सिंह ने कहा- 2002 गुजरात दंगे में सरकार की भूमिका नहीं थी (PHoto-IANS)

Gujarat Riots 2002: पूर्व राज्यसभा सांसद और सिख मुद्दों के वकील तरलोचन सिंह ने 2002 के गुजरात दंगों को लेकर बड़ा बयान दिया है। साथ ही उन्होंने गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी द्वारा स्थिति से निपटने की भी प्रशंसा की। उन्होंने दावा किया कि कारसेवकों को शवों को अपने गांवों में ले जाने से रोकने के मोदी के फैसले से दंगों को रोकने में मदद मिली। मोदी के फैसले से ही पूरे गुजरात में दंगे फैसने से रूके।

‘मोदी ने लोगों को बचाया’

ANI के साथ पॉडकास्ट में पूर्व राज्यसभा सांसद ने कहा कि मैं लोगों के घरों में यह पूछने गया कि दंगे क्यों हुए। मैं सिखों के घरों में गया। उन्होंने कहा कि यह स्वाभाविक नहीं था। मोदी ने लोगों को बचाया। उन्होंने इतना बड़ा काम किया, किसी ने आज तक इस पर ज़ोर नहीं दिया। सभी हिंदू शवों को उनके गांव ले जाना चाहते थे। अगर वे शव गांव चले जाते, तो पूरा गुजरात जल जाता। 

मोदी ने शवों को ले जाने की नहीं दी अनुमति

उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी ने इसकी अनुमति नहीं दी। मोदी ने इसे अस्वीकार कर दिया और घटनास्थल पर ही अंतिम संस्कार किया गया। उन्होंने इतना बड़ा काम किया। दंगे सिर्फ़ अहमदाबाद के आस-पास हुए थे, पूरे गुजरात में नहीं। मोदी ने इसे रोका।

30 मुस्लिम नेताओं और नरेंद्र मोदी के बीच हुई बातचीत

पूर्व राज्यसभा सांसद ने दावा कि उन्होंने कम से कम 30 प्रमुख मुस्लिम नेताओं और नरेंद्र मोदी के बीच बैठक कराई थी, जिसके परिणामस्वरूप मुख्यमंत्री ने उनकी सभी मांगों को स्वीकार कर लिया था।

दंगों में सरकार की नहीं थी भूमिका

उन्होंने कहा कि 2002 का दंगा लोगों के गुस्से का परिणाम था, इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं थी। पूर्व सांसद ने कहा कि गुजरात दंगा दिल्ली में हुए 1984 के दंगों की तरह प्रायोजित नहीं था। 

2000 में बनाया गया अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष

पूर्व राज्यसभा सांसद ने कहा कि गुजरात दंगों के समय मैं अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष था। मैं वहां पहुंचने वाला पहला व्यक्ति था। मैंने सारी जांच की, किसी को इसके बारे में पता नहीं है। मुझे 2000 में अध्यक्ष नियुक्त किया गया था और गुजरात दंगे 2002 में हुए थे। मैं छह साल तक अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष रहा। मेरे पास गुजरात त्रासदी पर एक पुस्तिका है।

साबरमती एक्सप्रेस को भीड़ ने लगाई आग

बता दें कि 27 फरवरी 2002 को हिंदू कारसेवकों को ले जा रही साबरमती एक्सप्रेस को भीड़ ने आग लगा दी थी, इस घटना में महिलाओं और बच्चों सहित 59 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद गुजरात राज्य में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए।