5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

अस्पताल में डॉक्टर्स के लिए ड्रेस कोड लागू: पुरुषों के जींस-टीशर्ट और महिलाओं के बैकलेस-स्कर्ट पर बैन

त्रिपुरा सरकार ने अस्पतालों में डॉक्टरों, नर्सों, प्रयोगशाला तकनीशियनों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के लिए ड्यूटी घंटों के दौरान ड्रेस कोड अनिवार्य कर दिया है।

2 min read
Google source verification
doctor

hospital

अस्पतालों में डॉक्टर्स, नर्सों, प्रयोगशाला तकनीशियनों और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारी फॉर्मल ड्रेस पहनेंगे। ड्यूटी घंटों के दौरान इन सभी को ड्रेस कोड अनिवार्य कर दिया है। त्रिपुरा के सरकारी अस्पतालों में ड्रेस कोड लागू हो गया है। ड्रेस कोड नहीं पहनने वालों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई भी हो सकती है, दोषी को उस दिन अनुपस्थित माना जाएगा। किसी भी तरह की जींस, स्कर्ट, शॉर्ट्स और प्लाजों ड्रेस का हिस्सा नहीं होंगे। अस्पताल में गैर चिकित्सीय कार्य करने वाले कर्मचारी फॉर्मल ड्रेस पहनेंगे। जींस और टीशर्ट पर प्रतिबंध रहेगा।


नेम-प्लेट और पहचान पत्र पहनना अनिवार्य

राज्य सरकार ने हाल ही में एक परिपत्र में कहा कि एक अधिकारी और अस्पताल में नामित जिम्मेदार व्यक्ति होने के नाते, अस्पताल के कर्मचारियों को उनके लिए देश भर में संहिताबद्ध उचित पोशाक पहननी होगी। साथ ही, उन्हें एक नेम-प्लेट लगानी चाहिए और एक पहचान पत्र पहनना चाहिए जो आसान पहचान के लिए अनिवार्य है।

ड्रेस कोड नहीं पहनने वालों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई

आदेश में चेतावनी दी गई है कि अवमानना से सख्ती से निपटा जाएगा। नर्सों को छोड़कर, डॉक्टर और अन्य कर्मचारी, यहां तक कि अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षक भी एप्रन का उपयोग करने से बचते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री माणिक साहा, जिनके पास स्वास्थ्य विभाग भी है, को पता चला कि सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों सहित बड़ी संख्या में स्वास्थ्य कर्मचारी अपने ड्यूटी घंटों के दौरान निजी काम में व्यस्त रहते हैं और अधिकांश समय अपनी कुर्सियां पर नहीं मिलते है।

यह भी पढ़ें- गेस्ट हाउस में चल रहे सेक्स रैकेट का भंडाफोड़, 4 महिलाओं सहित 7 लोग गिरफ्तार

नेमप्लेट के बिना उत्पीड़कों की पहचान करना मुश्किल

अधिकारियों ने कहा कि अगरतला सरकारी मेडिकल कॉलेज, राज्य रेफरल अस्पताल आईजीएम और राज्य भर के जिला अस्पतालों में भी कुछ कर्मचारी मरीजों के साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं और उन्हें गुमराह कर रहे हैं। शिकायत दर्ज कराने के इच्छुक कई मरीज़ों और उनके रिश्तेदारों को अक्सर डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों के बीच उनकी अनौपचारिक पोशाक और नेमप्लेट की अनुपस्थिति के कारण उनके उत्पीड़कों की पहचान करना मुश्किल हो जाता है।

यह भी पढ़ें- 170 घंटे से सुरंग में फंसे मजदूरों का टूट रहा सब्र का बांध, बचाव दल 5 योजनाओं पर कर रहा काम