
Naga Sadhu : हिन्दू धर्म में साधुओं को पूज्य माना जाता है। नागा साधु या नागा बाबा भगवान शिव के उपासकों का एक संप्रदाय है जो शिव की पूजा करने में विश्वास रखते हैं। नागा साधु, साधु-संतों की एक बिरादरी है, नागा साधु के नाम से ही जाहिर है कि वे निर्वस्र रहते हैं। पुरुषों की तरह महिला नागा साधु भी होती हैं लेकिन इनके लिए नियम थोड़े अलग होते हैं। जानते है महिला नागा साधु से जुड़ी बातें।
नागा साधु प्रकृति और प्राकृतिक अवस्था को महत्व देते हैं । इसलिए भी वे वस्त्र नहीं पहनते, नागा साधुओं का मानना है कि इंसान निर्वस्त्र जन्म लेता है अर्थात यह अवस्था प्राकृतिक है।
पुरुषों की तरह महिला नागा साधु निर्वस्र नहीं रहती हैं। वे गेरुए रंग का एक वस्त्र धारण करती हैं, जो सिला हुआ नहीं होता है। इसे गंती कहते हैं। महिला नागा साधुओं को एक ही वस्त्र पहनने की अनुमति होती है। साथ ही वे तिलक लगाती हैं और जटाएं धारण करती हैं।
नागा साधु बनने से पहले इन महिलाओं को कठिन तप और साधना करनी पड़ती है। वे गुफा, जंगलों, पहाड़ों आदि में रहकर साधना करती हैं, भगवान की भक्ति में लीन रहती हैं। महिला नागा साधु बनने से पहले परीक्षा के तौर पर 6 से 12 साल तक सख्त ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। इसके बाद ही गुरु उसे नागा साधु बनने की अनुमति देते हैं। महिला नागा साधुओं को दीक्षा लेने से पहले अपना सिर मुंडवाना पड़ता है। दुनिया से दूर रहकर तप करना पड़ता है। उन्हें हर पहलू पर आंका जाता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि वह आगे इस कठिन रास्ते पर चल पाएगी या नहीं।
महिला नागा साधु बनने से पहले महिला संन्यासिनी को सारे सांसारिक बंधन तोड़ने पड़ते है। इसके लिए उसे जीते जी अपना पिंडदान तक करना पड़ता है। यानी कि उसने जो जिंदगी बिताई है वो उसे खत्म करके नए जीवन में प्रवेश कर रही है और हिंदू धर्म में पिंडदान मरने के बाद उसके परिवारजन ही करते हैं। महिला नागा साधु हमेशा दुनिया से दूर एकांत में जीवन बिताती हैं, वे कुंभ जैसे खास मौकों पर ही पवित्र नदियों में स्नान करने के लिए दुनिया के सामने आती हैं। उन्हें भी पुरुष नागा साधुओं की तरह सम्मान मिलता है और माता कहकर संबोधित किया जाता है।
Published on:
25 Aug 2024 09:16 am
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