8 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

असिस्टेंट प्रोफेसर और चांसलर के पदो की भर्ती में बड़े बदलाव को लेकर UGC ने जारी किया ये ड्राफ्ट

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी UGC ने अस्सिस्टेंट प्रोफेसर, चांसलर की भर्ती में बड़े बदलाव को लेकर एक प्रस्ताव रखा है। इस नियम को मंजूरी मिलने के बाद नए नियम कुलपतियों को कुलपति के चयन पर अधिक नियंत्रण प्रदान करेंगे।

2 min read
Google source verification
UGC Draft

UGC Draft

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी UGC ने उच्च शिक्षा में नेतृत्वकर्ताओं की नियुक्ति की प्रक्रिया में बदलाव करते हुए सोमवार को नए नियम जारी किए। जिन राज्यों में राज्यपालों को कुलपतियों की नियुक्ति में व्यापक अधिकार प्रदान करते हैं तथा इस पद के लिए उद्योग विशेषज्ञों और सार्वजनिक क्षेत्र के दिग्गजों को अनुमति देते हैं, इस प्रकार केवल शिक्षाविदों के चयन की परंपरा समाप्त हो गई है।

विपक्ष शासित राज्यों प्रभाव

सरकार से इस नियम को मंजूरी मिलने के बाद नए नियम कुलपतियों को कुलपति के चयन पर अधिक नियंत्रण प्रदान करेंगे। साथ ही विपक्ष शासित राज्यों जैसे तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और केरल में इसका महत्वपूर्ण प्रभाव देखने को मिलेगा। जहाँ सरकार और राज्यपाल (जो राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में कार्य करते हैं) वर्तमान में शीर्ष शैक्षणिक नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर विवादों में उलझे हुए हैं।

विनियमों में हुआ बदलाव

नए विनियम 2025 के अनुसार विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षकों और शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति और पदोन्नति के लिए न्यूनतम योग्यताएं तथा उच्च शिक्षा में मानकों के रखरखाव के लिए अनुबंध शिक्षक नियुक्तियों पर लगी सीमा को भी हटा दिया है। 2018 के विनियमों ने ऐसी नियुक्तियों को संस्थान के कुल संकाय पदों के 10 प्रतिशत तक सीमित कर दिया था। उच्च शिक्षा नियामक को मसौदे पर जनता की प्रतिक्रिया प्राप्त होने के बाद नये नियमों को अंतिम रूप दिया जाएगा।

नए नियमों में क्या?

नए नियमों में कहा गया है, "कुलपति/विजिटर तीन विशेषज्ञों वाली खोज-सह-चयन समिति का गठन करेंगे।" इससे पहले, नियमों में उल्लेख किया गया था कि कुलपति के पद के लिए चयन एक खोज-सह-चयन समिति द्वारा गठित 3-5 व्यक्तियों के पैनल द्वारा उचित पहचान के माध्यम से किया जाना चाहिए, लेकिन यह निर्दिष्ट नहीं किया गया था कि समिति का गठन कौन करेगा।

ये भी पढ़े: Bengaluru Suicide: अपने ही बच्चों की हत्या कर बेंगलुरू के इंजीनियर और उनकी पत्नी ने की आत्महत्या, जानें पूरा मामला