
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल ( West Bengal ) में उपचुनाव से पहले ही बीजेपी ( BJP ) की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। एक तरफ नेता पार्टी का दामन छोड़ रहे हैं तो दूसरी तरफ कानूनी लड़ाई में भी हार का मुंह देखना पड़ रहा है। कलकत्ता हाईकोर्ट ( Calcutta High Court ) ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल की हाई प्रोफाइल सीट भवानीपुर ( Bhawanipur ) में 30 सितंबर को होने वाले उपचुनाव पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।
इस फैसले को भारतीय जनता पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। सोमवार को बीजेपी नेता दिलीप घोष पर हमला के बाद से राजनीति तेज हो गई थी। बीजेपी के कई नेता जहां उपचुनाव को टालने की मांग कर रहे थे तो वहीं स्वप्न दासगुप्ता ने चुनाव आयोग से मतदान केंद्र के आसपास धारा 144 लगाने की मांग की थी।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने बीजेपी को बड़ा झटका दिया है। हाईप्रोफाइल सीट भवानीपुर में चुनाव पर रोक से कोर्ट ने इनकार कर दिया है।
मुकुल रॉय की सदस्यता पर मंडराया खतरा
वहीं टीएमसी में दोबारा शामिल हुए मुकुल रॉय की विधानसभा सदस्यता भी खतरे में पड़ती दिख रही है। कोर्ट ने इसके साथ ही मुकुल रॉय के खिलाफ बीजेपी की अयोग्यता याचिका पर फैसला करने के लिए पश्चिम बंगाल विधानसभा के अध्यक्ष के लिए 7 अक्तूबर की समय सीमा तय की है।
दरअसल मुकुल रॉय कुछ महीने पहले ही बीजेपी से टीएमसी में शामिल हुए थे. मार्च-अप्रैल में पश्चिम बंगाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में मुकुल रॉय ने कृष्णानगर सीट से जीत हासिल की थी, लेकिन 11 जून को वापस टीएमसी में लौट आए थे।
बता दें कि उपचुनाव से पहले हुई हिंसा को देखते हुए बीजेपी प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को कोलकाता में चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की और 30 सितंबर को उपचुनाव के दिन भवानीपुर निर्वाचन क्षेत्र में धारा 144 लागू करने की अपील की।
इसके साथ ही प्रतिनिधिमंडल के नेताओं ने केंद्रीय बलों की उपस्थिति में चुनाव करवाने की मांग की। इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व स्वप्न दासगुप्ता ने किया और इसमें शिशिर बाजोरिया और प्रताप बनर्जी भी शामिल थे।
Published on:
28 Sept 2021 01:00 pm
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