
तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव एक चुनावी कार्यक्रम में। File Pic IANS
Bihar Assembly Elections: बिहार की राजनीति एक बार फिर परिवारिक कलह और निजी रिश्तों के कारण चर्चा में है। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने अपने 12 साल पुराने प्रेम संबंध का खुलासा कर एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने अनुष्का यादव नाम की एक महिला के साथ अपने रिश्ते को सार्वजनिक किया, जिसके बाद पूरे लालू परिवार में भूचाल आ गया। इस घटनाक्रम ने न केवल यादव परिवार को झकझोर कर रख दिया, बल्कि राष्ट्रीय जनता दल की आंतरिक राजनीति और आगामी बिहार विधानसभा चुनाव पर भी बड़ा प्रभाव डाल सकता है।
तेज प्रताप यादव के प्रेम संबंध की सार्वजनिक घोषणा से नाराज़ लालू यादव ने सख्त कदम उठाते हुए तेज प्रताप को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। यही नहीं, उन्हें परिवार से भी बाहर कर दिया गया है। यह फैसला न सिर्फ तेज प्रताप के लिए व्यक्तिगत झटका है, बल्कि यह लालू परिवार में दरार की सार्वजनिक स्वीकारोक्ति भी है, जो अब तक पर्दे के पीछे थी। इस घटनाक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब यादव परिवार के अंदर एकजुटता का भ्रम टूट चुका है।
राजद में तेज प्रताप की बेदखली से पार्टी दो हिस्सों में बंटी दिखाई दे सकती है। एक ओर तेजस्वी यादव पार्टी की कमान संभाल रहे हैं और खुद को भावी मुख्यमंत्री के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं, वहीं तेज प्रताप की नाराज़गी और अलग राह पकड़ना पार्टी के मतदाताओं में भ्रम पैदा कर सकता है। यादव वोटबैंक, जो पारंपरिक रूप से राजद का आधार रहा है, अब विभाजित हो सकता है यदि तेज प्रताप अपनी अलग राजनीतिक राह अपनाते हैं या किसी अन्य दल से हाथ मिला लेते हैं।
राजद में अंदरूनी कलह विपक्षी दलों के लिए एक सुनहरा मौका है। भाजपा और जदयू जैसे दल इस विवाद को हथियार बनाकर राजद की पारिवारिक राजनीति और नेतृत्व संकट पर सवाल उठा सकते हैं। खासकर चुनावी मौसम में जब हर मुद्दा राजनीतिक हथियार बन सकता है, तेज प्रताप की प्रेम कहानी और निष्कासन का मामला विपक्ष के लिए आरजेडी को घेरने का जरिया बन सकता है।
तेज प्रताप यादव की छवि युवाओं के बीच हमेशा से थोड़ी असामान्य रही है। कभी भगवान कृष्ण की वेशभूषा तो कभी गायों के बीच समय बिताने की तस्वीरें—उन्होंने हमेशा मीडिया में अलग पहचान बनाई है। लेकिन अब जब उनका प्रेम प्रसंग और पारिवारिक विवाद खुलेआम सामने आया है, तो युवाओं में भी उनकी लोकप्रियता को ठेस लग सकती है। तेजस्वी यादव की तुलना में अब उनकी गंभीरता और राजनीतिक समझ पर सवाल उठने लगे हैं।
तेज प्रताप यादव का प्रेम प्रसंग और उसके बाद की राजनीतिक प्रतिक्रिया केवल एक पारिवारिक मामला नहीं है, बल्कि यह बिहार की राजनीति को नए मोड़ पर ले जा सकता है। लालू यादव का तेज प्रताप को पार्टी और परिवार से बाहर करना जहां नेतृत्व की स्पष्टता दिखाता है, वहीं यह पार्टी में संभावित बिखराव की भी आहट है। विधानसभा चुनाव से पहले यह संकट आरजेडी की रणनीति और एकजुटता को गहरा प्रभावित कर सकता है। अब देखना यह होगा कि तेज प्रताप इस हालात में क्या अगला कदम उठाते हैं और इसका असर चुनावी नतीजों पर कितना पड़ता है।
Updated on:
26 May 2025 10:32 am
Published on:
26 May 2025 06:42 am
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