19 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

भारत के प्रथम अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा अब क्या कर रहे हैं, कहां रह रहे हैं, उनके बारे में यहां जानिए सबकुछ

राकेश शर्मा पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री थे जिन्होंने 1984 में अंतरिक्ष के माध्यम से एक अद्वितीय यात्रा शुरू की थी।

3 min read
Google source verification

अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा (फाइल फोटो)

Where is Rakesh Sharma: भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा का नाम देश के अंतरिक्ष इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है। 1984 में उन्होंने जो सफर तय किया, वह न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए ऐतिहासिक था। सोवियत संघ और इसरो के संयुक्त मिशन के तहत वे अंतरिक्ष में गए और वहां 7 दिन 21 घंटे और 40 मिनट तक बिताकर वैज्ञानिक प्रयोग किए। उनकी यादगार बात "सारे जहां से अच्छा" आज भी हर देशवासी की जुबान पर है।

कौन हैं राकेश शर्मा?

राकेश शर्मा का जन्म 13 जनवरी, 1949 को पंजाब के पटियाला में हुआ था। उनका बचपन हैदराबाद में बीता जहां उन्होंने सेंट ऐन्स हाई स्कूल, सेंट जॉर्ज ग्रैमर स्कूल और निजाम कॉलेज से पढ़ाई की। विज्ञान और देशसेवा के प्रति जुनून उन्हें राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) तक ले गया, जहां से उन्होंने सेना के लिए प्रशिक्षण लिया।

एयरफोर्स से अंतरिक्ष तक का सफर

1970 में राकेश शर्मा भारतीय वायुसेना (IAF) में शामिल हुए। वह मिग-21 लड़ाकू विमान के कुशल पायलट बने और 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान 21 मुकाबला मिशनों में हिस्सा लिया। अपने साहस और प्रतिभा के बल पर वह स्क्वाड्रन लीडर के पद तक पहुंचे। 1982 में उन्हें सोवियत संघ के यूरी गागरिन कोस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षण के लिए चुना गया। यहां से अंतरिक्ष मिशन के लिए उन्हें चुना गया और 3 अप्रैल 1984 को उन्होंने 'सोयुज टी-11' यान से अंतरिक्ष की उड़ान भरी। उनके साथ दो सोवियत कोस्मोनॉट्स भी थे।

"सारे जहां से अच्छा": एक भावुक क्षण

अंतरिक्ष यात्रा के दौरान भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनसे सवाल किया, "भारत आपको अंतरिक्ष से कैसा दिखता है?" इस पर राकेश शर्मा ने जो उत्तर दिया, वह हमेशा के लिए अमर हो गया – "सारे जहां से अच्छा।" यह जवाब न सिर्फ भावुक था, बल्कि भारत के प्रति उनके प्रेम और गर्व को दर्शाता था।

अंतरिक्ष में क्या किया?

राकेश शर्मा ने अपने मिशन के दौरान कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोग किए। उन्होंने भारहीनता की स्थिति में योग अभ्यास करके दिखाया कि भारतीय जीवनशैली और विज्ञान कितने अनुकूल हो सकते हैं। उन्होंने पृथ्वी की कक्षा से सुंदर दृश्य कैमरे में कैद किए और पर्यावरण से संबंधित प्रयोगों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।

यह भी पढ़ें- Shubhanshu Shukla के स्पेस में जाने से पहले जानें कैसा था पहले अंतरिक्ष यात्रा का एक्सपीरियंस

अंतरिक्ष से लौटकर

अंतरिक्ष से लौटने के बाद राकेश शर्मा को सोवियत संघ द्वारा 'Hero of the Soviet Union' के खिताब से सम्मानित किया गया, जो किसी विदेशी नागरिक को दिया गया सर्वोच्च सम्मान था। भारत सरकार ने भी उन्हें अशोक चक्र से नवाजा। इसके बाद वे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) में मुख्य टेस्ट पायलट बने। एक बार नासिक के पास MIG-21 विमान के परीक्षण के दौरान वह दुर्घटनाग्रस्त हो गए, लेकिन सौभाग्य से बाल-बाल बचे।

अब कहां हैं राकेश शर्मा?

राकेश शर्मा 2001 में सेवानिवृत्त हो गए और अब तमिलनाडु के कुन्नूर जिले में रहते हैं। प्रकृति की गोद में बसे इस शांत स्थान पर वे अपनी पत्नी के साथ जीवन का आनंद ले रहे हैं। वह अब भी योग, गार्डनिंग, गोल्फ और किताबों के प्रति अपने लगाव को बनाए हुए हैं। उनका जीवन अब भले ही लाइमलाइट से दूर हो, लेकिन उनकी सोच और योगदान आज भी देश की वैज्ञानिक दिशा को आकार दे रहा है।

यह भी पढ़ें- Good News! ट्रेन टिकट कन्फर्म होगा या नहीं, अब इतने घंटे पहले ही मिलेगी जानकारी

ISRO से आज भी जुड़े हैं

राकेश शर्मा आज भी देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम से जुड़े हुए हैं। वह इसरो के "गगनयान मिशन" की नेशनल स्पेस एडवाइजरी काउंसिल के सदस्य हैं और अपनी विशेषज्ञ राय के जरिए भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन को दिशा देने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। हाल ही में जब चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सफल लैंडिंग हुई, तब भी राकेश शर्मा ने इसरो को बधाई दी और खुद को इस सफर का हिस्सा बताया।