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Chandigarh Mayoral Elections: कौन हैं अनिल मसीह जिन्होंने चंडीगढ़ मेयर चुनाव में की गड़बड़ी, पहले भी रहा विवादों से गहरा नाता

Chandigarh Mayoral Elections: चंडीगढ़ मेयर चुनाव विवाद में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए। उन्होंने चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया है।

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Who is Anil Masih: चंडीगढ़ मेयर चुनाव विवाद में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में बड़ा फैसला सुनाया है। मेयर चुनाव को लेकर सीजेआई चंद्रचूड़ ने सख्त लहजा अपनाया है। शीर्ष कोर्ट ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव मामले की सुनवाई के दौरान रिटर्निंग अधिकारी द्वारा घोषित भाजपा उम्मीदवार के चुनाव को खारिज करते हुए आप पार्षद कुलदीप कुमार को चंडीगढ़ नगर निगम का मेयर घोषित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि चंडीगढ़ मेयर चुनाव में रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया है।


रिटर्निंग अधिकारी ने 8 वोट को किया खारिज

चंडीगढ़ में मेयर चुनाव के लिए 30 जनवरी को मतदान हुआ था। इसमें बीजेपी के मनोज सोनकर ने 16 वोट हालिस किए। वहीं, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के साझा उम्मीदवार कुलदीप कुमार के खाते में 12 वोट आए थे। आठ वोट को रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह ने अवैध करार दिया था। इसके बाद यह मामला हाईकोर्ट और फिर सु्रपीम कोर्ट पहुंचा।

जानिए कौन हैं अनिल मसीह

चंडीगढ़ मेयर चुनाव में जो गड़बड़ी हुई है उसमें रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह की अहम भूमिका रही है। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि उनपर मुकदमा चलाया जाना चाहिए। तो आइये जाने हैं अनिल मसीह के बारे में। 53 साल के अनिल मसीह कुछ सालों पहले ही बीजेपी में शामिल हुए थे। वह बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा से जुड़े रहे हैं। साल 2021 में चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव के दौरान वार्ड-13 से बीजेपी से टिकट की आस थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अगले साल सानी 2022 में बीजेपी ने उन्हें चंडीगढ़ नगर निगम के लिए मनोनीत किया था। मसीह चंडीगढ़ नगर निगम के उन 9 पार्षदों में से एक हैं, जिन्हें मनोनीत किया गया है।

पहले भी विवादों में रहे हैं मसीह

अनिल मसीह चंडीगढ़ मेयर चुनाव में गड़बड़ी करने से पहले भी विवादों में रहे है। इससे पहले साल 2021 में ही बीजेपी ने मसीह को अल्पसंख्यक मोर्चा का महासचिव नियुक्त कर दिया था। बाद में मेयर चुनाव के बाद विवादों में आने के कारण बीजेपी ने मसीह को पद से हटा दिया था।

अभद्र भाषा के लिए लगी पाबंदी

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2018 में चर्च में अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने के बाद अनिल मसीह की एंट्री पर रोक लगा दी गई थी। रिपोर्ट के अनुसार, चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया (CNI) की कमेटी मीटिंग के दौरान मसीह ने कथित रुप से गाली-गलौज की थी। इसके बाद चर्च की सभी एक्टिविटी में शामिल होने पर रोक लगाई थी।

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