पति को जबरदस्ती करने का अधिकार क्यों?
न्यायमूर्ति राजीव शकधर और राजीव सी हरि शंकर की खंडपीठ के समक्ष न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव ने अपनी दलील पेश की। इसमें उन्होंने कहा कि ‘क्या वो मानते हैं कि एक आदमी को अपनी पत्नी के साथ जबरदस्ती करने का जन्मसिद्ध अधिकार मिल जाता है? विधायिका ये नहीं कहती है कि एक आदमी अपनी पत्नी पर हमला नहीं कर सकता, उसके साथ यौन शोषण नहीं कर सकता, लेकिन ऐसा लगता है कि एक आदमी अपनी पत्नी से रेप कर सकता है और रेप से जुड़े कानून से आसानी से बच भी सकता है।’
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वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव ने आगे कहा, ‘क्या कोई ये दलील दे सकता है कि ये तर्कसंगत, न्यायोचित और निष्पक्ष है कि किसी पत्नी को आज के समय में रेप को रेप कहने के अधिकार से वंचित रखा जाए, बल्कि उसे आईपीसी की धारा 498ए (विवाहित महिला से क्रूरता) के तहत राहत नहीं मांगनी चाहिए।’
अगली सुनवाई 17 जनवरी को
दरअसल, इस मामले पर सुनवाई के दौरान जस्टिस हरीशंकर के उन सवालों का जिसमें उन्होंने कहा था कि कानून ये नहीं कहता कि रेप के मामले में न कहने का अधिकार शादी के बाद एक पत्नी के लिए कैसे बदल सकता है।
सुनवाई के दौरान जस्टिस हरिशंकर ने कहा कि प्रथमदृष्ट्या में उनकी राय है कि इस मामले सहमति कोई मुद्दा ही नहीं है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 17 जनवरी को होगी।
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