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क्या 2026 में भी मुस्लिमों की पहली पसंद बनी रहेंगी ममता? ISF, AIMIM और अब हुमांयू कबीर लगा सकते हैं सेंध

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले मुस्लिम वोटरों को लेकर सियासी बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है। TMC का मानना है कि मुसलमानों के लिए इस बार भी TINA फैक्टर काम करेगा। वहीं, हुमांयू कबीर समेत राज्य की सत्ता में लंबे समय से काबिज रहे CPM नेता अलग-अलग दावे कर रहे हैं।

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सीएम ममता बनर्जी (फोटोःIANS)

West Bengal Politics: पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है। यहां 27 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं। ऐसे में मुस्लिम वोटरों पर सबकी निगाह है। तृणमूल पार्टी लगातार मुसलमानों को अपने पाले में करने में जुटी हुई हैं, लेकिन बीते कुछ समय से सीएम ममता बनर्जी ने कुछ फैसले ऐसे लिए हैं, जो मुस्लिम समुदाय को असहज कर रहे हैं। इसके साथ ही, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM, ISF और अब तृणमूल से निलंबित किए जा चुके हुमांयू कबीर भी इस वोट बैंक पर नजर टिकाए हुए हैं।

हम 135 सीटों पर लड़ेंगे चुनाव: हुमांयू कबीर

तृणमूल कांग्रेस से निकाले जा चुके विधायक हुमांयू कबीर ने हाल ही में मुस्लिम बहुल जिले मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद की नींव रखी। इस दौरान लाखों की संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग इकट्ठा हुए। इसके बाद हुमांयू कबीर ने मीडिया से कहा कि हम अगले चंद दिनों में नई पार्टी का ऐलान करने वाले हैं। कई बड़ी पार्टियों के नेता हमारे संपर्क में हैं। हम राज्य के मुसलमानों की आवाज बनने की कोशिश करेंगे। राज्य के अल्पसंख्यक समुदाय के हितों की रक्षा करने में सीएम ममता बनर्जी असफल रही हैं। उन्होंने कहा कि हम आगामी चुनाव में 135 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। हुमांयू कबीर ने 90 सीटों पर जीत का दावा किया।

क्या TINA फैक्टर करेगा काम ?

TMC के भीतर भी मुस्लिम वोटबैंक खिसने का डर सता रहा है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि OBC आरक्षण को लेकर प्रदेश के मुसलमानों में तृणमूल के खिलाफ असंतोष बढ़ रहा है। अल्पसंख्यक वर्ग के भीतर यह धारणा भी बन रही है कि तृणमूल सरकार ने अपने एंटी वक्फ कानून के रुख से पीछे हटकर अपनी हार मान ली है। हालांकि, TMC नेताओं का कहना है कि TINA (there is no alternative) फैक्टर के कारण मुस्लिम वोटबैंक कही नहीं जाने वाली है। उनका मानना है कि बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए अल्पसंख्यक वर्ग उनके साथ बने रहेंगे।

पश्चिम बंगाल धार्मिक विवादों में फंस रहा है: मो. सलीम

राज्य की सत्ता पर तीन दशकों तक राज करने वाली कम्युनिस्ट पार्टी मार्कसवादी के नेता व राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने कहा कि एक ही समय पर बाबरी मस्जिद बनाने की अचानक कोशिश और कोलकाता में गीता पाठ करवाना दिखाता है कि बंगाल पीछे जा रहा है। राज्य धार्मिक विवादों में फंस रहा है। कबीर के बाबरी मस्जिद के कार्यक्रम में जुटी भीड़ दिखाती है कि TMC के खिलाफ मुसलमानों में गहरा और बढ़ता हुआ अविश्वास है। मुसलमान धोखा महसूस कर रहे हैं।

ममता को मुसलमानों के गुस्से का सामना करना होगा: अधीर रंजन

बंगाल के पूर्व PCC चीफ और बहरामपुर से सांसद रहे अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि राज्य के लोग धार्मिक भावनाओं में न बहें। उन्होंने कहा कि हमें भाईचारा और सद्भावना बनाए रखना चाहिए। अधीर रंजन ने कहा कि ममता बनर्जी और उनकी पार्टी को मुस्लिम वोटरों के गुस्से का सामना करना पड़ेगा। लोगों की भावनाएं वक्फ संपत्तियों से जुड़ी हैं। सीएम ममता ने कानून मान लिया, लेकिन वह इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकती थीं। कम से कम, विधानसभा में इसके खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया जाना चाहिए था। उन्होंने मुसलमानों को हल्के में लिया है और मुस्लिम समाज का अपमान किया है।

बीजेपी नेता राहुल सिन्हा ने दावा किया कि वक्फ और OBC आरक्षण के मुद्दों के बाद TMC का मुस्लिम वोट बैंक "खत्म" हो जाएगा। उन्होंने कहा कि ममता ने उन मुसलमानों को अपनी तरफ करने के लिए कबीर का इस्तेमाल किया जो TMC से नाराज हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि वे बीजेपी को वोट देंगे।