
पंजाब के सीएम भगवंत मान
पंजाब और हरियाणा के बीच पानी को लेकर चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसी बीच अब पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र में सोमवार को सर्वसम्मति से छह प्रस्ताव पारित किए गए, जिनमें हरियाणा को अतिरिक्त पानी न देने का फैसला प्रमुख है। पंजाब सरकार ने स्पष्ट किया कि वह अपने हिस्से के पानी की एक बूंद भी हरियाणा को नहीं देगी, हालांकि मानवीय आधार पर 4,000 क्यूसेक पानी की आपूर्ति जारी रहेगी।
जल संसाधन मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) द्वारा हरियाणा को 8,500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी देने के फैसले का विरोध किया, इसे पंजाब के जल अधिकारों पर हमला बताया।
इस दौरान बरिंदर कुमार गोयल ने बीबीएमबी पर बीजेपी की कठपुतली के रूप में काम करने और असंवैधानिक तरीकों से पंजाब के जल अधिकारों को कमजोर करने की साजिश रचने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पंजाब ने मानवीय आधार पर हरियाणा को 4,000 क्यूसेक पानी दिया है, लेकिन अपने हिस्से से कोई अतिरिक्त पानी नहीं छोड़ेगा।
प्रस्तावों में BBMB के पुनर्गठन, डैम सेफ्टी एक्ट-2021 को रद्द करने और पंजाब की सीमा में बने बांधों पर राज्य का पूर्ण नियंत्रण सुनिश्चित करने की मांग शामिल है। प्रस्ताव में कहा गया कि पिछले तीन वर्षों के दौरान मान सरकार ने पंजाब के हर खेत तक नहरी पानी पहुंचाने का प्रयास किया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि पंजाब ने हर खेत तक नहरी पानी पहुंचाने के प्रयास किए हैं और केंद्र सरकार की ओर से पंजाब के पानी पर कोई जबरदस्ती बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
उन्होंने हरियाणा के दावों को खारिज करते हुए कहा कि पंजाब से पाकिस्तान को पानी नहीं जा रहा और हरियाणा ने अपने हिस्से का पानी पहले ही उपयोग कर लिया है।
वहीं सीएम मान ने कहा कि आप सरकार ने पंजाब के हर खेत तक नहर का पानी पहुंचाने का प्रयास किया है। 2021 तक पंजाब के केवल 22% खेतों को नहर का पानी मिलता था, लेकिन अब 60% को कवर किया जा रहा है। यही कारण है कि पंजाब के पानी की एक-एक बूंद कीमती हो गई है।
Updated on:
05 May 2025 09:49 pm
Published on:
05 May 2025 09:45 pm
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