मामला हरियाणा के जींद जिले का है. जहां उत्तरप्रेदश के बांदा जिले के तेरा गांव निवासी भैरमदीन अपनी पत्नी चंदा, बेटे काशी प्रसाद और बहू रोशनी के साथ जींद के सरकारी अस्पताल में बहू का प्रसव कराने पहुंचे थे. लेकिन अस्पताल में उन्हें समुचित सुविधाएं नहीं मिली. भैरमदीन ने बताया कि वो लोग पूरे परिवार के साथ जींद के खेमाखेड़ी गांव में सतीश ईंट-भट्ठे पर काम करते हैं. उनकी बहू रोशनी को बच्चा होना था. देर रात करीब 12 बजे उसे प्रसव पीड़ा होनी शुरू हुई.
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रातभर दर्द में कराहती रही प्रसूता रोशनी
भैरमदीन के पुत्र काशी प्रसाद ने बताया कि रात में दर्द शुरू होने पर हमलोग रोशनी को लेकर अस्पताल जाना चाह रहे थे, लेकिन पैसे की कमी और कोई साधन नहीं मिलने के कारण रात भर वो दर्द में ही तड़पती रही. सुबह पांच बजे जैसे-तैसे उसे बस से लेकर हमलोग जींद के सरकारी अस्पताल पहुंचे. लेकिन उस समय वहां भी मेडिकल स्टाफ कम ही थे. इससे दर्द में तड़पता देख वहां मौजूद कर्मियों ने रोशनी को हिसार ले जाने की बात कहीं.
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बच्चे के जन्म के बाद पहुंचे अस्पताल, जच्चा-बच्चा स्वस्थ
रोशनी के पति काशी ने आगे बताया कि जींद से हिसार ले जाने के लिए हमलोगों ने एंबुलेंस की मांग की. लेकिन उस समय सरकारी अस्पताल में कोई एंबुलेंस नहीं था. फिर और कोई साधन नहीं होने पर हमलोग उसे बस से ही हिसार ले जाने लगे. रास्ते में ही प्रसव पीड़ा और तेज हुई तो रोशनी ने बस में ही बच्चे को जन्म दिया. रोशनी के साथ उनकी सास और एक और महिला था. हिसार ले जाने वाले बस के चालक ने भी उनलोगों की मदद की. बच्चे को जन्म देने के बाद वो बस से ही जच्चा-बच्चा के साथ अस्पताल पहुंचे. जहां डॉक्टर ने दोनों स्वस्थ बताया.