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आजादी के 75 साल बाद भी आवासीय पट्टा विहिन ग्राम गूगल खेड़ा

- गूगल खेड़ा ग्राम में 96 परिवार रहते हैं, लेकिन सिर्फ 13 को ही अभी तक मिले हैं पट्टे

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आजादी के 75 साल बाद भी आवासीय पट्टा विहिन ग्राम गूगल खेड़ा

आजादी के 75 साल बाद भी आवासीय पट्टा विहिन ग्राम गूगल खेड़ा

नीमच। हम आजाद देश में रहने के बड़े-बड़े दावें करें, लेकिन आज भी वनवासी अपने आसरे के लिए जमीन पट्टा पाने के लिए आजादी के ७५ वर्ष बाद भी इंतेजार कर रहें है। हालांकि प्रदेश के मुख्यमंत्री ने पूर्व में भी घोषणा की है कि वर्ष २००५ से जमीन पर काबिज वनवासी अपनी जमीन न छोडऩे की अपने भाषणों में बात कही है। वह जल्द ही पट्टा वितरण को लेकर नियम बना रहे है। लेकिन इस बात को भी दो साल से अधिक हो गए है। मनासा तहसील के रामपुरा समपी खींमला पंचायत के गुगलखेड़ा बंजारा गांव में वर्ष १९७४ के पूर्व से रह रहे वनवासियों को अभी तक आवास का पट्टा नहीं वितरित किया गया। जबकि शासन की अतिक्रमण जुर्माना वसूली रसीद लगातार जारी है। सिर्फ यहां राजनीति प्रभाव के इक्के-दुक्के लोगों के ही पट्टे बने है। जिसके कारण डूब क्षेत्र के गांव का विकास भी रूका हुआ है। किसी को भी प्रधानमंत्री आवसीय योजना का लाभ नहीं मिला है। यहां तक की यहां नलजल की योजना से भी ग्रामीण वंचित है, वहीं गत दिनों भारी बारिश में गराड़ी कुई तालाब का पाल टूटने से गांव में कहर बनके बरपा है। लोगों की पानी के भाव में फसल खराब हो गई। लेकिन यहां तक कोई जनप्रतिनिधि या बड़े अधिकारी ने मौके पर पहुंचकर सुध तक नहीं ली है। अब ग्रामीणों को चिंता है कि यह पाल नहीं बनी तो तेज बारिश में खाल का प्रवाह बढऩे पर फिर खेतों में पानी भरेगा और फसल बिगडेंगी।

गुगलखेड़ा गांव निवासी रूपा फौजदार और हजारी बंजारा ने बताया कि वह आजादी के पूर्व से यहां गांव में निवास कर रहे है। उनके पास शासन द्वारा अतिक्रमण काबिज की जुर्माना रसीद लगातार काटी जा रही है। वर्ष १९७४ की रसीद उनके पास है। उसके बाद भी वनवासियों के जमीन के पट्टे नहीं बनाए गए। गांव में में करीब ९६ परिवार निवासरत है, लेकिन सिर्फ राजनीति प्रभाव में १३ लोगों के ही आवासीय पट्टे बने हैं। यह पटï्टे भी वर्ष १९९२ में बने थे, उसके बाद कई बार प्रयास करने के बाद भी जनप्रतिनिधि आश्वासन देते है, लेकिन पट्टा नहीं बनाया गया है। इसी का कारण है कि यहां पर आज तक किसी भी ग्रामीण को प्रधानमंत्री आवासीय योजना का लाभ नहीं मिला है। वोट के समय नेता आश्वासन देकर जाते है, उसके बाद वापिस नही देखते है। यहां तक यहां पर नलकूप योजना का लाभ भी नहीं है। एक भी हैँडपंप नहीं है। महिलाओं को दूसरे के निजी कुएं पर करीब डेढ़ किलोमीटर दूर पीने का पानी भरकर लाना पड़ता है। आधा समय पानी की व्यवस्था करने में लग जाता है। खींमला ग्राम पंचायत में धामनिया, भीमपुरा, गुगलखेड़ा, बस्सी ब्लॉकक, मजरा जूना पानी, मजरा कालबेलिया बस्ती आती है। यहां पर ९० फीसदी के पास आवासीय पट्टे नहीं है। क्षेत्र में करीब ३०० काश्तकार है।

२२ दिन बाद भी तालाब की पाल नहीं हुई ठीक, फसल बिगडऩे का डर
बंजारा समाज के युवा नेता अजय मदन और वन समिति के अध्यक्ष रूपा फौजदार ने बताया कि २५ जुलाई को तेज बारिश में समीप गांव गराडीकुडी में वन विभाग द्वारा निर्मित तालाब की पाल टूटने से गांव जलमग्र हो गया था। गांव के मकान डूब गए थे। पांच फीट से अधिक पानी घरों में भर गया था। खेतों की फसल नष्ट हो गई। वहीं घर का सामान पूरा तबाह हो गया। लेकिन यहां पर विधायक अनिरूद्ध मारू ने आकर तक झांका नहीं और न ही कोई बड़ा अधिकारी आया। पटवारी और वन विभाग के डिप्टी रेंजर ने मौके पर आकर पंचनामा बनाकर रिपोर्ट तैयार की। लेकिन काफी आर्थिक नुकसान के बाद भी अभी तक कोई मुआवजा नहीं मिला। शासकीय स्कूल में तो अभी तक बाढ़ पानी भरा है। जिसकी अभी तक किसी ने सुध नहीं ली। वहीं स्कूल का रास्ता पूरा कीचड़ से भर गया। बच्चें वहां पहुंचना मुश्किल भरा हो गया है। मुक्तिधाम गांव का बना है, जिसके बीच खाल है। बारिश के दिनों में तेज बहता है। ग्रामीणों को अंतिम संस्कार के लिए जाना भी जोखिम भरा होता है।

ग्रामीणों की हुई फसल बर्बाद करीब साढ़े पंद्रह करोड का नुकसान
ग्रामीणों ने बताया कि एक बीघा में कम से कम ३ बोरी सोयाबीन होती है। ग्रामीणों की करीब ७५० बीघाा में काश्तकारी है। इस हिसाब से करीब साढ़े १५ करोड़ की सोयाबीन फसल नष्ट हुई है। वहीं बंजर जमीन पर मिट्टी डालकर खेती योग्य बनाई गई थी। तालाब की पाल टूटने से खेतो की मिट्टी तक बह गई और फसल नष्ट हुई है। वहीं खेतों की फसल रोजड़े व जानवरों से बचाने के लिए पत्थर की चारदीवारी कर रखी थी। वह भी क्षतिग्रस्त हुई है। इस प्रकार देखे तो काफी ज्यादा नुकसान हुआ है। ग्रामीण रूपा फौजदार ने बताया कि ग्रामीणों ने समस्या और नुकसान को विधायक अनिरूद्ध मारू को बताया तो उनका कहना था कि प्रत्येक काश्तकार को वह पांच हजार रुपए नुकसानी दिला सकते है, इससे अधिक चाहिए तो वह आगे बात कर रहें है। जबकि काश्तकारों का नुकसान भारी हुआ है।

वन विभाग के अधिकारी एसडीओ राजेंद्र परमार से सीधी बातचीत
पत्रिका- २५ जुलाई गराड़ीकुडी स्थित तालाब की की पाल टूट गई है, यह वन विभाग का ही है ।
एसडीओ- हां मुझे जानकारी है, यह विभाग के अंडर ही आता है।
पत्रिका- पाल टूटने से किसानों की फसल बर्बाद हो गई, काफी उनका नुकसान हुआ है।
एसडीओ- गांव के कुछ किसानों ने वहां पर पाइप लाइन डालने के प्रयास किया था, जिसके कारण तेज बारिश में दीवार ढही है, उन लोगों के खिलाफ प्रकरण भी बनाया है।
पत्रिका- लेकिन उन इक्के दुक्के लोगों के कारण नुकसान तो पूरे गांव के किसान को हुआ, आर्थिक रूप से कमजोर हो गए। अभी बारिश में फिर उनकी फसल बर्बाद हो सकती है, इसको दुरस्त करने के लिए क्या कर रहें हैं।
एसडीओ- अभी तो विभाग के पास बजट नहीं है। प्रस्ताव तैयार कर भेजा जा रहा है, प्रशासन का ही काम है ग्राम पंचायत स्तर व शासन स्तर पर नरेगा में भी निर्माण हो जाए तो काफी सहायता होगी और जल्द कार्य हो सकता है।

वन विभाग के अधिकारियों को कराया है

अवगत गराड़ीकुड़ी गांव के तालाब की पाल टूटने से गुगलखेड़ा गांव की काफी फसल बर्बाद हुई है और गांव में भी पानी भर गया था। तालाब वन विभाग के अंडर में है, उन्हें ठीक कराने के लिए पत्र लिखा है। डिप्टी रेंजर मांगीलाल बैंसला से वह स्वंय भी मिलकर आए है और समस्या से अवगत कराया है। प्रयासरत है, जल्द ही पाल का निर्माण कराया जाएगा।
- गंगा बाई, सरपंच खींमला ग्राम पंचायत

मैं दिखवाता हूं
गराड़ीकुड़ी गांव के तालाब की पाल टूटने के मामले में जिला प्रशासन की हर संभवत: मदद की जाएगी। ग्रामीणों के नुकसान की भी रिपोर्ट तैयार शासन को भेजकर मुआवजा देने का कार्य किया जाएगा। मै पूरा मामला दिखवाता हूं।
- मयंक अग्रवाल, जिला कलेक्टर नीमच।