29 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

नीमच

Video News … बारिश से फसल प्रभावित होने के बाद लागत से हलकान हैं अन्नदाता

सोसायटियों में अबतक शुरू नहीं हुई खरीदी, अन्नदाता कम दाम पर बेचने को मजबूर

Google source verification

नीमच

image

Mukesh Sharaiya

Mar 27, 2023

नीमच. एक पखवाड़े पहले जिले में रबी फसल पर आफत की बारिश और ओलावृष्टि हुई थी। तब सर्वे और नुकसानी का मुआवजे की मांग उठी थी। किसानों को आश्वासन मिले थे, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं हुआ। अब अन्नदाता ने मन मारकर उपज कटाने का कार्य शुरू किया है। जिन खेतों में फसल लेट गई हैं वहां कि किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है। प्रति बीघा कटाई का कार्य जो मात्र 2 हजार में हो सकता था अब साढ़े पांच हजार रुपए बीघा में हो रहा है।

आड़ी फसल पर नहीं होता हार्वेस्टर का उपयोग
पंजाब से बड़ी संख्या में हार्वेस्टर लेकर लोग यहां पहुंचते हैं। खेतों में खड़ी फसल कटाने के लिए वे जिले के किसानों से सीधे सम्पर्क कर लेते हैं। इस साल भी किसानों से सम्पर्क किया गया, लेकिन मार्च के प्रारंभ और दूसरे सप्ताह में हुई बारिश की वजह से किसानों के अरमानों पर भी पानी फिर गया। खेतों में लहलहा रही फसल बारिश और ओलावृष्टि की वजह से आड़ी पड़ गई। इसका प्रतिकूल असर यह पड़ा कि फसल सूखने के बाद हार्वेस्टर संचालकों ने उसे काटने से असमर्थता व्यक्त की। ऐसे में किसानों ने मजदूरों की मदद से फसल कटवाने का निर्णय लिया। यहां हार्वेस्टर की तुलना में फसल कटाई की लागत काफी अधिक लग रही है।

2 हजार के स्थान पर 5500 रुपए प्रति बीघा हुई लागत
मौसम की मार से प्रभावित किसानों के सामने अब खेतों में आड़ी पड़ी फसल को कटवाना एक बड़ी चुनौती बन गया है। बारिश नहीं होती तो हार्वेस्टर की मदद से सहज रूप से गेहूं कट जाता। लेकिन अब चिंता दूसरी है। मशीन का उपयोग नहीं होने से मजदूरों से फसल कटवाई की जा रही है। ऐसे में जो कार्य हार्वेस्टर की मदद से मात्र 2 हजार रुपए बीघा में हो जाता उसके 3500 रुपए देना पड़ रहे हैं। इन दिनों मजदूर भी ठेके पर कार्य कर रहे हैं। दिहाड़ी पर काम करने वाले मजदूर सहज रूप से नहीं मिल रहे हैं। अब यहां परेशानी यह बढ़ी है कि मजदूर प्रति बीघा चना काटने के 2500-3000 रुपए ले रहा है। गेहूं के 3500 रुपए। इसी प्रकार फसल काटने के बाद उसे इकट्ठा करने के अलग से लिए जा रहे हैं। इसमें 1500 गेहूं और चना व अलसी 1000 रुपए बीघा लिया जा रहा है। यही पर किसान की परेशानी खत्म नहीं होती। इसके बाद प्रति घंटा के मान से 1300 रुपए थ्रेसर के अलग से देना पड़ रहे हैं। कुल मिलाकर बारिश और ओलावृष्टि की वजह से किसानों की कमर पूरी तरह से टूट गई है।

मंडी में ऊंचे में 2600 और नीचे में 1750 के भाव
किसानों से समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदने के लिए पंजीयन कराया गया है, लेकिन अब तक खरीदी शुरू नहीं हुई है। दूसरी ओर किसानों को 28 मार्च में पर ऋण भी जमा कराना है। मुख्यमंत्री ने तारीख बढ़ाने की घोषणा अवश्य की, लेकिन तारीख नहीं बताई। ऐसे में किसानों के पास गेहूं मंडी में बचने के लिए अतिरिक्त कोई रास्ता नहीं बचा। कृषि उपज मंडी में किसानों को नीचे में 1750 और ऊपर में 2600 तक के भाव मिल रहे हैं। सोयायटी में 2150 रुपए की दर निर्धारित की गई है।

लाभकारी मूल्य बढ़ाने की आवश्यकता
आजादी के समय कलेक्टर का वेतन औसत करीब 450 रुपए था। जब गेहूं की कीमत 240 रुपए क्विंटल के करीब थी। आज कलेक्टर को वेतन करीब 1.25 लाख के आसपास है, लेकिन गेहूं की कीमत 2400 के करीब। जिसे तेजी से कर्मचारियों-अधिकारियों का वेतन बढ़ा उस अनुपात में कृषि जिंसों का लाभकारी मूल्य नहीं बढ़ाया गया है। शासन मानता है कि गेहूं की एक बोरी पर 1900 रुपए खर्चा बैठता है, सरकार इसी मान से समर्थन 2150 रुपए दे रही है। लेकिन इसे लाभकारी मूल्य नहीं माना जा सकता। लाभकारी मूल्य करीब 3500 से 4000 रुपए मिलना चाहिए।
– प्रहलाद शर्मा, जनपद सदस्य नीमच