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जानें कैसे आरटीई ने छीना निजी स्कूल संचालकों का चेन

विद्यार्थियों के नामों की स्पेलिंग गलत होने से अटकी राशि

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समग्र, आधार और स्कूल रिकार्ड में स्पेलिंग सुधारने में आ रही दिक्कत

नीमच. शिक्षा का अधिकार कानून बनने के बाद से निजी शिक्षण संस्थाओं में २५ फीसदी आरक्षित वर्ग के बच्चों को प्रवेश देना अनिवार्य किया गया है। इसके तहत जिले के करीब ४२५ निजी स्कूलों में बच्चों को नियमित रूप से प्रवेश भी दिया जा रहा है, लेकिन विभागीय त्रुटि की वजह से शिक्षण संस्थाओं का करीब साढ़े तीन करोड़ रुपए अधर में फंस गया है। इसके लिए निजी शिक्षण संस्थाएं कतई जिम्मेदार नहीं हैं।
शिक्षा विभाग ही सीधे ले रहा है आवेदन
आरटीई के तहत शिक्षा विभाग ही सीधे आरक्षित वर्ग के आवेदन मंगवाए जा रहे हैं। बच्चों के लिए स्कूल का चयन भी शिक्षा विभाग ही कर रहा है। आरटीई के तहत बच्चों के प्रवेश को लेकर निजी शिक्षण संस्थाओं की कहीं भी सीधे सीधे भूमिका नहीं रहती। अब इस साल से नया नियम लागू किया गया है। इसमें समग्र, आधार और स्कूल के रिकार्ड में गलती (बच्चे या परिजनों के नाम की स्पेलिंग में गलती) होने पर भी फीस क्षतिपूर्ति की राशि जारी नहीं की जाएगी। निजी शिक्षण संस्थाओं का कहना है कि जब आवेदन शिक्षा विभाग सीधे मंगवा रहा है तो नाम की स्पेलिंग में गलती इसके लिए हम कैसे जवाबदार हैं।
अन्य स्कूल में नाम दर्ज होने पर नहीं मिली राशि
अग्रसेन पब्लिक स्कूल बघाना के प्रदीप यादव ने बताया कि हमारे स्कूल में सत्र २०१६-२०१७ से शकीना पिता शाजिद ५ वर्ष ने प्रवेश लिया है, लेकिन इस छात्रा का अन्य किसी स्कूल में नाम दर्ज है। इस वजह से राशि का भुगतान नहीं हो रहा है। जबकि इस छात्रा का नाम जिला शिक्षा कार्यालय से ही हमारे यहां दर्ज कराया गया है। एक अन्य मामले में अल्फा इंग्लिश स्कूल में अध्ययनरत् छात्र आलोक के नाम की स्पेलिंग में समग्र में गलती होने से फीस क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान रोका गया है। जबकि इसमें भी निजी शिक्षण संस्था की कोई गलती नहीं है। समग्री आईडी में नाम गलत होने पर उसमें सुधार के लिए अब परिजनों को नपा के चक्कर काटना पड़ रहे हैं। आधार कार्ड बनाने के लिए जिला मुख्यालय पर एक ही काउंटर है। वहां जब परिजन पहुंच रहे हैं तो संचालक दो टूक कह देते हैं कि एक दिन में २५ से अधिक बच्चों के नाम में सुधार नहीं हो सकता। इस कारण वहां से भी परिजन मायूस होकर लौट रहे हैं। एक नई समस्या और निजी शिक्षण संस्था के सामने आई कि जिन बच्चों की उपस्थिति ७५ फीसदी से कम है उनकी फीस क्षतिपूर्ति राशि भी स्कूलों को जारी नहीं की जा रही है।
४२५ स्कूलों की राशि अटकी
जिले में करीब ४२५ निजी शिक्षण संस्थाएं संचालित हैं। इनमें करीब २५०० बच्चों को आरटीई के तहत प्रवेश दिया गया है। इन बच्चों की सत्र २०१६-१७ और सत्र २०१७-१८ की फीस क्षतिपूर्ति राशि अधर में अटकी पड़ी है। इस संबंध में जिम्मेदारों से जानकारी लेने पर कोई भी स्थिति स्पष्ट करने की स्थिति में नहीं है। इतना भर कहा जा रहा है कि हमने ३ करोड़ ६७ लाख रुपए की राशि जारी कर दी है। यह राशि सत्र २०१५-१६ की है। क्योंकि निजी शिक्षण संस्थाओं की ओर से सत्र २०१६-१७ की फीस क्षतिपूर्ति राशि के लिए अब तक दावा की प्रस्तुत नहीं किया गया है। वह भी इस कारण कि शिक्षा विभाग ने समग्र, आधार और स्कूल रिकार्ड में बच्चों के नाम में स्पेलिंग गलत होने पर राशि रोकने का नया नियम जारी किया है। ऐसे में जब तक आधार, समग्र और स्कूल रिकार्ड में सुधार नहीं होता दावा प्रस्तुत करना भी संभव नहीं है। इतना ही नहीं यह सुधार कैसे होगा इसके लिए भी शिक्षा विभाग के पास कोई रास्ता नहीं है।
जारी की गई ३ करोड़ ६७ लाख की राशि
जिले के सभी निजी शैक्षणिक संस्थाओं को वर्ष २०१५-१६ का ३ करोड़ ६७ लाख रुपए जारी किया गया है। जहां तक विद्यार्थियों के नामों में त्रुटि की वजह से सत्र २०१६-१७ की फीस क्षतिपूर्ति राशि भुगतान नहीं होने का प्रश्न है तो इसमें सुधार के लिए ब्लॉक स्तर पर शिविर लगाकर इसे दूर किया जाएगा। आधार कार्ड में सुधार होने के बाद किसी प्रकार की दिक्कत निजी शिक्षण संस्थानों को नहीं आएगी।
- डा. पीसी गोयल, डीपीसी