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#Neemuch में पति-पत्नी पर लगाया साढ़े 9 लाख का जुर्माना

दबाव से टूटी नवविवाहिता ने गटका जहर, अस्पताल में भर्ती, 14 साल सामाजिक से बहिष्कार

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नीमच

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Ashish Pathak

Dec 13, 2025

Father-in-law Attacks daughter-in-law

परिवार ब्रिटेन से छुट्टियां मनाने के लिए अमेरिका गया था, वहीं यह वारदात हुई। (PC: AI)

नीमच. ग्राम बावल में तथाकथित झगड़ा प्रथा के नाम पर सुनाए गए अमानवीय सामाजिक फरमान ने एक नवविवाहिता को आत्मघाती कदम उठाने पर मजबूर कर दिया। समाज द्वारा लगाए गए 9 लाख 50 हजार रुपए के भारी जुर्माने और 14 वर्षों के सामाजिक बहिष्कार के फैसले से मानसिक रूप से टूट चुकी महिला ने जहरीले पदार्थ का सेवन कर लिया। फिलहाल उसका उपचार जिला चिकित्सालय में जारी है और हालत स्थिर बताई जा रही है।

ग्राम कुंडला निवासी 24 वर्षीय लक्ष्मी रेगर ने आपसी सहमति से ग्राम बावल निवासी प्रवीण रेगर से करीब तीन माह पूर्व दूसरा विवाह किया था। इसी विवाह को लेकर समाज की बैठक बुलाई गई थी, जहां दंपती को कठोर दंड का पात्र बना दिया गया। आरोप है कि समाज ने 9.50 लाख रुपए का अर्थदंड लगाने के साथ ही प्रवीण रेगर को 14 वर्षों के लिए समाज से बाहर करने का फरमान सुनाया। इतना ही नहीं, यदि पति-पत्नी ने इस निर्णय के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तो जुर्माने की राशि 15 लाख रुपए तक बढ़ाने की धमकी भी दी गई। लगातार सामाजिक तिरस्कार, आर्थिक दबाव और डर के माहौल से टूटकर लक्ष्मी रेगर ने जहर गटक लिया। परिजन तत्काल उन्हें जिला चिकित्सालय लेकर पहुंचे, जहां पुलिस ने पहुंचकर उनके बयान दर्ज किए। पुलिस भी मामले की गंभीरता से जांच कर रही है।

अस्पताल में भर्ती लक्ष्मी ने बयान में कहा कि समाज के इस फैसले ने उन्हें पूरी तरह तोड़ दिया। उन्होंने कहा कि 9.50 लाख रुपए हम कहां से लाएंगे। 14 साल के लिए समाज से बाहर कर दिया गया है। अब भी धमकियां मिल रही हैं। लक्ष्मी ने स्पष्ट किया कि उन्हें अपने पति से कोई समस्या नहीं है। उन्होंने समाजजन जिन्होंने उक्त आदेश दिया कि खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

आत्महत्या करने जैसे बना दिए हालात

प्रवीण रेगर ने बताया कि 6 दिसंबर को हुई समाज की बैठक में यह घातक निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी राशि चुकाने की उनकी कोई हैसियत नहीं है। हमारे सामने या तो घर-बार बेचने, भीख मांगने या फिर सपरिवार आत्महत्या करने जैसे हालात बना दिए गए हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि लक्ष्मी अपनी मर्जी से उनके साथ आई थीं, उन्हें जबरदस्ती नहीं भगाया गया।

समाज के भीतर से उठा विरोध

समाज के ही सदस्य ओमप्रकाश उज्जैनिया ने इस फैसले को गलत और अमानवीय बताया। उन्होंने कहा कि यह समाज की परम्परा नहीं, बल्कि व्यक्तिगत रंजिश का परिणाम है। उनके अनुसार, प्रवीण रेगर और उनके पड़ोसी मोहनलाल के बीच चल रहे विवाद को सामाजिक निर्णय का रूप दे दिया गया है। उन्होंने मांग की कि समाज की जाजम बैठाकर निष्पक्ष तरीके से मामले का समाधान किया जाए, ताकि किसी निर्दोष परिवार का शोषण न हो।