
व्याख्यान में उपस्थित छात्राएं।
नीमच. हर विद्यार्थी पढ़ लिखकर अपना भविष्य बेहतर बनाना चाहता है, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि विद्यार्थी प्रतियोगी परीक्षाओं के दौरान होने वाले साक्षात्कार में अपने आप में खुबियां होने के बावजूद भी विभिन्न कारणों से अपने आप को प्रस्तुत नहीं कर पाता है। इसी के चलते प्रतियोगी परीक्षाओं में किस प्रकार परीक्षा से लेकर साक्षात्कार तक अपने आप को प्रस्तुत करना है, कौन कौन सी सावधानियां बरतनी है, किस प्रश्न का उत्तर किस प्रकार देना है। आदि के बारे में छात्राओं को गुर सीखाए गए। ताकि वे आगे बढ़कर स्वयं के साथ देश के विकास में भी सहयोगी बने।
प्रसन्नता की तलाश हमें अपने भीतर करनी पड़ेगी । अनगिनत सुविधाओं के होते हुए भी हम अप्रसन्न हो सकते हैं तथा अभावों में भी प्रसन्न रह सकते है। जहां जहां दुनिया में महिलाओं की निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी है वहां वहां प्रसन्नता का स्तर अच्छा है। क्योंकि जब घर की महिला को खुशी देते हैं। तो उसका दायरा विस्तृत होता है जिसके प्रभाव के कारण परिवार और समाज में प्रसन्नता का प्रतिशत बढ़ता है।
यह बात मंगलवार को सीताराम जाजू शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ एवं व्यक्तित्व विकास प्रकोष्ठ के अंतर्गत विशिष्ठ व्याख्यान में प्रमुख वक्ता भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी अफीम फैक्ट्री महाप्रबंधक एचएन मीणा ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने महाविद्यालय की छात्राओं को प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी के सूत्र बताए तथा व्यक्तित्व विकास और मानसिक दृढ़ता के साथ अभावों और विषम परिस्थितियों के होते हुए भी परीक्षाओं में कैसे सफलता प्राप्त करे इसके गुर भी विस्तार से बताए। मीणा ने छात्राओं को बताया कि हमारी मानसिक क्षमता असीमित है बस उसे सही तरीके से उपयोग करने की जरूरत है। हाल ही में दिवंगत हुए महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग का उदाहरण देकर मीणा ने कहा कि इच्छा शक्ति से वे पचास साल ज्यादा जिए। अत: हमें भी इस उम्र में कठिन परिश्रम करना चहिए। ताकि आने वाला समय हमारे लिए ही नहीं सबके लिए प्रसन्नता लेकर आए। मीणा ने इस दौरान बेटी बचाओ अभियान की भी जानकारी छत्राओं को दी तथा आव्हान किया कि सब इस मुहिम से जुड़े ताकि देश के गिरते लिंगानुपात को रोक कर बराबरी पर लाया जा सके। एच एन मीणा ने कहा कि यदि हमें प्रसन्नता चाहिए तो उसके लिए महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना पहली शर्त है। कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ हमें लडऩा होगा और इसके कारणों की जड़ो में जाकर प्रहार करने की जरूरत है ताकि समाज से इस घृणित बुराई को खत्म किया जा सके।
कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्य डॉ. एनके डबकरा द्वारा स्वागत भाषण देते हुए किया, जिसमें बताया की आज का दिन विश्व प्रसन्नता दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र के मानको के आधार पर भारत का स्थान 2017 में 122 वां था किंतु 2018 में 133 वां हो गया है। इस विषय पर चिन्ता व्यक्त करते हुए उन्होनें इसके पीछे निहित कारणों को जानने का आव्हान किया और बताया कि प्रसन्नता का भौतिक समृद्धि से कोई सरोकार नहीं वह तो स्वयं के भीतर से उपजती है। जिसे खोजना और पाना हमारी संस्कृति एवं परम्परा का अंग है, जिसे हम भूलते जा रहे है। महात्मा बुद्ध जैसे संतों की वाणी में इसे खोजा जा सकता है।
मीणा ने बताया कि प्रतियोगिता परीक्षाओं में सफल होने के लिए लक्ष्य निर्धारण करना और उसी के अनुरूप कार्य योजना बनाई जाना चाहिए। इसमें सफलता के लिए तनाव रहित रहना चाहिए और परिणाम किसी भी प्रकार का हो उसे सकारात्मक रूप में लेना चाहिए। जीवन में कभी विद्यार्थियों को हताष नहीं होना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. समता मेहता द्वारा किया गया एवं आभार डॉ. बीना चौधरी द्वारा माना गया। इस अवसर पर स्वामी विवेकानंद प्रकोष्ठ संयोजक डॉ. रश्मि हरित, सदस्य डॉ. देवेश सागर, डॉ. मनीष परमार, वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. केपी साहू, अतिथि विद्वान अलका शर्मा, भूपेन्द्र नायक, रूपलाल मेघवाल एवं महाविद्यालयीन छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित थी।

Published on:
21 Mar 2018 12:55 pm
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