आरोग्य की देवी मां भादवामाता में 7 अक्टूबर को घट स्थापना के साथ ही नवरात्रि का शुभारंभ हो जाएगा। इसी के साथ 13 अक्टूबर को अष्टमी मनाई जाएगी। इस बार नवरात्रि में लगने वाला मेला भी नहीं लगेगा। यहां दर्शन के दौरान मास्क लगाना अनिवार्य रहेगा, साथ ही सोशल डिस्टेसिंग का पालन भी करना होगा।
अमृत कुंड के पानी का महत्व
भादवामाता में मंदिर के समीप ही अमृत कुंड के नाम से एक कुंड है, इसी कुंड का पानी अमृत माना जाता है, कहते हैं यहां के पानी का उपयोग चर्म रोग व लकवे से पीडि़त लोग करते हैं, तो उन्हें काफी फायदा होता है, यही कारण है कि माता के दरबार में हजारों की संख्या में श्रद्धालु आरोग्य की इच्छा लेकर आते हैं। जिससे उन्हें फायदा भी पहुंचता है, खास बात तो यह है कि यह पानी भी आसानी से उपलब्ध हो जाता है, जिसे नित्य लगाने या नहाने से दिनों दिनों चर्म रोग और लकवे की समस्या से निजात मिलने लगती है।
ऐसे पहुंचे भादवामाता
भादवामाता पहुंचने के लिए मध्यप्रदेश में सबसे सबसे पहले नीमच पहुंचना होता है, यहां बस और ट्रेन दोनों के माध्यम से पहुंचा जा सकता है। वहीं फ्लाईट से आने वालों के लिए मध्यप्रदेश में इंदौर और राजस्थान में उदयपुर पहुंचना होता है। फिर इन स्थानों से नीमच व्हाया बस, ट्रेन या टेक्सी से पहुंचना है, नीमच पहुंचने के बाद आपको भादवामाता गांव जाना होता है, जो नीमच जिला मुख्यालय से करीब 18 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां बस, ऑटो रिक्शा या टेक्सी के माध्यम से जाया जा सकता है।
ठहरने की व्यवस्था
भादवामाता में श्रद्धालुओं के रूकने के लिए कई धर्मशालाएं हैं। अगर आप चाहे तो नीमच भी रूक सकते हैं, यहां लॉज व होटलों की व्यवस्था भी अच्छी है। वैसे तो भादवामाता आने वाले श्रद्धालु मंदिर में ही ठहरते हैं। लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते मंदिर परिसर में ठहरने पर प्रतिबंध है।
नि:शुल्क होते हैं दर्शन
भादवामाता में आनेवाले श्रद्धालुओं के लिए कोई स्पेशल कतार नहीं होती है, यहां महिला एवं पुरूष की दो कतार रहती है, ऐसे में यहां दर्शन करने के लिए किसी प्रकार का कोई पैसा नहीं देना पड़ता है, केवल अपनी अपनी कतार में खड़े होना रहता है। यहां दर्शन करने में भी अधिक समय नहीं लगता है। क्योंकि मंदिर प्रांगण काफी बड़ा है, ऐसे में कुछ ही देर में हजारों श्रद्धालु दर्शन कर लेते हैं।
-एसएल शाक्य, एसडीएम