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राहुल गांधी की आदम के साथ मची थी राजनैतिक हलचल

राजनीतिक खींचतान के बीच गुजरा २०१७किसान आंदोलन की रही राजनैतिक गलियारों में गूंजसम्मेलन में प्रश्न पूछना भारी पड़ा था किसान को

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राजस्थान से मध्यप्रदेश में प्रवेश करते समय कांग्रेस के तब के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी को कुछ इस अंदाज में तत्कालीन एसपी ने पकड़ा था।

नीमच. वर्ष २०१७ जाते जाते अपने पीछे कई यादें छोड़ गया। राजनैतिक गलियारों में पिपलिया मंडी में हुई गोलीकांड की गूंज सबसे अधिक सुनाई दी। यहां तक कि राष्ट्रीय स्तर के नेताओं ने नीमच मंदसौर जिले का रुख किया। इसमें बमुश्किल किसी को सफलता मिली। आंदोलन के ठंडा पडऩे के बाद कांग्रेस और अन्य राजनैतिक दलों के नेताओं की सक्रियता भी काफी बढ़ गई थी। जिला मुख्यालय पर हुए किसान सम्मेलन में एक गरीब किसान को पानी और फसल बीमा की कम्पनी का नाम पूछना तक भारी पड़ गया था।
किसान आंदोलन की दिल्ली तक सुनाई दी गूंज
जून २०१७ में जिले का राजनीतिक घटनाक्रम अचानक से बदला। फसल बीमा, उपज के उचित दाम आदि की मांग को लेकर हजारों किसान सड़कों पर उतरे। जिले की कानून व्यवस्था पर प्रश्न चिह्न न लगे इसके लिए पूरा महकमा मुस्तैद था। इस बीच ८ जून १७ को कांग्रेस के तब के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी का मध्यप्रदेश की सीमा में नाटकीय अंदाज में प्रवेश हुआ। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मनोजकुमार सिंह ने सुरक्षा की दृष्टि से राहुल का हाथ पकड़कर उनकी गिरफ्तारी लेने की नाकाम कोशिश की थी। यह फोटो केवल पत्रिका के पास ही था जो आगे चलकर राष्ट्रीय स्तर पर छाया। राहुल गांधी की जिले में उपस्थिति से मृत पड़े कांग्रेस संगठन में भी नई ऊर्जा का संचार हुआ था। राहुल गांधी की जिले में उपस्थिति की दिल्ली के गिलियारों तक में गूंज सुनाई दी थी। इसके बाद तो जिले में कांग्रेस नेताओं के आगमन का सिलसिला शुरू हो गया था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद ज्योतिरादित्य सिधिया, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरूण यादव जैसे दिग्गज नेता यहां पहुंचे थे। किसान आंदोलन में काल के गाल में समाए किसानों के जख्मों पर मलहम लगाने में सत्ताधीशों ने भी कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी थी।
सीएम ने घर पहुंच दी थी सांत्वना
आंदोलन में मारे गए किसानों से राजनीतिक दृष्टिकोण से हुए नुकसान की भरपाई के लिए भाजपा नेताओं ने भी भरसक प्रयास किए। यहां तक कि स्वयं मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को जिले के दौरे पर आना पड़ा। यहां वे ग्राम नयाखेड़ा में मृतक किसान के परिजनों से मिलने भी पहुंचे। मुख्यमंत्री ने डेमेज कंट्रोल के रूप में पीडि़त परिजनों को तत्काल एक करोड़ रुपए की राशि और परिवार के एक सदस्य को नौकरी का आश्वासन दिया था। इतनी बड़ी राशि मुआवजे के रूप में देना भी सुर्खियों में छाया रहा। भाजपा की ओर से इस पूरे घटनाक्रम में केवल सीएम ने ही किसानों से मिलकर उनके जख्मों पर दवा लगाने का काम ? किया। भाजपा की ओर से अन्य कोई कद्दावर नेता इस दौरान जिले में नजर नहीं आया।
हार्दिक ने भी भरी थी हुंकार
जिले में हुए किसान आंदोलन में देश के विभिन्न राजनैतिक दलों के नेताओं ने यहां दस्तक दी। इनमें गुजरात के पाटीदार समाज के दिग्गज नेता हार्दिक पटेल भी शामिल थे। किसान आंदोलन में मारे गए किसानों के परिजनों से मिलने के लिए वे भी यहां पहुंचे थे। उनकी मौजूदगी से जिले की कानून व्यवस्था चरमरा न जाए इस उद्देश्य से उन्हें राजस्थान से मध्यप्रदेश सीमा में प्रवेश करने पर ही गिरफ्तार कर लिया गया था। उनकी मौजूदगी से भी पाटीदार समाज का एक बड़ा वर्ग भाजपा और कांग्रेस से टूट सकता था। हार्दिक पटेल की जिले में आमद से ही यहां के राजनीतिक समीकरण बिगड़ सकते थे। यह बात अलग है कि गुजरात चुनाव में उन्होंने कांग्रेस का समर्थन किया। ऐसे में भाजपा खेमे के लिए ही अधिक चिंता की बात होती।
किसान को सम्मेलन में समस्या बताना पड़ा भारी
सितंबर माह में जिला मुख्यालय में वृहद स्तर पर किसान सम्मेलन आहूत किया गया था। किसान आंदोलन के बाद किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार की ओर से यह आयोजन किया गया था। इस आयोजन में एक गरीब किसान को पानी की समस्या उठाना भारी पड़ गया था। ग्राम कुचड़ौद के किसान मोहनलाल धानुक ने भरे सम्मेलन में बीच में खड़े होकर अव्यवस्थाओं को लेकर सवाल खड़े कर दिए थे। धानुक ने यहां तक पूछ लिया था कि फसल बीमा जो कम्पनी करती है न उसके द्वारा बीमा की रसीद दी जाती है और न ही बीमा के बारे में किसानों को बताया जाता है। यह बात भाजपा नेताओं को नगवारा गुजरी थी। इसका खामियाजा किसान को पूरी रात थाने में काटकर चुकाना पड़ा था। बाद में यह मामला आम आदमी पार्टी के नवीन कुमार अग्रवाल, अशोक सागर और कांग्रेस की पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन के माध्यम से केंद्रीय मानव अधिकार आयोग तक भी पहुंचा था।
'आपÓ ने किया बिजली घोटाला उजागर
आम आदमी पार्टी के लिए भी वर्ष २०१७ काफी अच्छा रहा। जहां नयागांव चेकपोस्ट पर अवैधानिक रूप से गरीब ट्रक चालकों से हो रही करोड़ों की अवैध वूसली पर पूरी तरह रोक लगी वहीं पार्टी ने जिले में हुए एक बड़े घोटाले को भी उजागर करने में सफलता हासिल की। आप के नवीन अग्रवाल ने श्रमिकों की संख्या अधिक बताकर आर्थिक अनियमितता करने का मामला उजागर किया था। जनवरी १७ में यह घोटाला उजागर हुआ था। लगातार प्रयास करने के बाद जून में संबंधित कम्पनी घोटाले की दोषी पाई गई। उसे ब्लैक लिस्टेड करने के साथ ही ४ लाख रुपए की रिकवरी भी की गई।