
शिक्षा का अधिकार अधिनियम
नीमच. अब तक शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत निजी विद्यालयों को फीस प्रतिपूर्ति प्राप्त करने के लिए कई कागजी कार्यवाही करनी पड़ती थी। वहीं केवल नाम के आधार पर होने वाली एंट्री के कारण कई बार एक ही बच्चे की डबल एंट्री हो जाने पर वह भी पकड़ में नहीं आती थी। ऐसे में किसी प्रकार की गड़बडिय़ां नहीं हो व जिस प्रकार शासन की विभिन्न योजनाएं आधार से लिंक है उसी प्रकार शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत अध्यनरत बच्चों के आधार भी पोर्टल पर दर्ज करना अनिवार्य कर दिया है।
बतादें की वर्ष २०११-१२ से शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत विभिन्न निजी विद्यालयों को कमजोर वर्ग के २५ प्रतिशत बच्चों को प्रवेश देना होता है। जिसकी फीस प्रतिपूर्ति शासन द्वारा की जाती है। इस योजना के तहत निजी विद्यालयों को फीस प्रतिपूर्ति लेने के लिए अभी तक पहले पोर्टल पर एंटी करनी होती थी। जिसके बाद उसकी रिपोर्ट तैयार कर जिला शिक्षा केंद्र में जमा कराने सहित अन्य प्रक्रियाएं करनी पड़ती थी। तब जाकर उन्हें फीस प्रतिपूर्ति की राशि प्राप्त होती थी। ऐसे में कई बार निजी विद्यालय संचालकों को चक्कर काटने पड़ते थे। लेकिन अब उन्हें किसी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। क्योंकि फीस प्रतिपूर्ति की प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया है। लेकिन अब निजी विद्यालयों को पोर्टल पर बच्चे की सारी जानकारी के साथ ही समग्र आईडी और आधार नंबर जरूर डालना पड़ेगा। अन्यथा उन्हें जिस बच्चे का आधार नहीं होगा उसकी फीस प्रतिपूर्ति नहीं मिलेगी। या जब तक वे बच्चे का आधार अपडेट नहीं कर देते तब तक उन्हें फीस प्रतिपूर्ति नहीं मिलेगी।
इस बार करीब १२ हजार बच्चों की होगी फीस प्रतिपूति
गत वर्ष करीब ९ हजार ९०० बच्चों की शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत फीस प्रतिपूर्ति की गई थी। वहीं इस बार करीब १२ हजार बच्चों की फीस प्रतिपूर्ति की जानी है। जिसमें प्रति बच्चा ४ हजार से ४५०० रुपए के बीच फीस प्रतिपूति की जाती है।
नहीं हो पाएगी किसी प्रकार की गड़बड़ी
अब तक फीस प्रतिपूति में आधार अपडेट नहीं करने के कारण किसी बच्चे का नाम एक से अधिक विद्यालय में होने पर भी पकड़ नहीं हो पाती थी। इस कारण गड़बडिय़ों की संभावना रहती थी। लेकिन अब आधार से योजना लिंक होने के कारण कोई चाहकर भी गड़बड़ी नहीं कर पाएगा। क्योंकि एक बार जिस बच्चे के नाम पर आधार नंबर चढ़ गया, वही नंबर दोबारा डालने पर तुरंत पकड़ में आ जाएगा।
वर्जन.
निजी विद्यालयों को शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत प्राप्त करनेे वाली फीस प्रतिपूर्ति में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं हो, इसलिए प्रक्रिया को सरल करने के उद्देश्य से भारत सरकार के निर्देशानुसार बच्चे के नाम की एंट्री के साथ आधार नंबर अनिवार्य कर दिया है। इससे विद्यालय प्रभारियों को प्रपोजल भेजने आदि कार्य के लिए भी चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। क्योंकि सभी कार्य ऑनलाइन हो जाएंगे।
-केएम सौलंकी, सहायक परियोजना समन्वयक
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Published on:
17 Dec 2017 01:25 pm
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