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शंखेश्वर भगवान चौमुखी मंदिर का ५१ फीट ऊंचा है शिखर

-प्रदेश में कहीं नहीं ऐसा चौमुखी मंदिर

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-शंखेश्वर भगवान, चौमुखी मंदिर।

नीमच. मूलनायक शंखेश्वर पाश्र्वनाथ, जीरावला पाश्र्वनाथ, मनमोहन पाश्र्वनाथ, चिंतामणी पाश्र्वनाथ का चौमुखी मंदिर पूरे प्रदेश में केवल नीमच शहर में है। इस मंदिर का शिखर भी ५१ फीट ऊंचा होने के कारण आकर्षण का केंद्र है। इस मंदिर के निर्माण की प्रेरणा शहर के डूंगरवाल परिवार को आचार्य जयंत सेन सूरिश्वर मसा से मिली।
शंखेश्वर पाश्र्वनाथ राजेंद्र सूरी राजमल पानबाई डूंगरवाल चेरिटेबल ट्रस्ट अध्यक्ष राजेंद्र डूंगरवाल ने बताया कि गुरुदेव राजेंद्र सूरिश्वर महाराज साहब का गुरु मंदिर नीमच में नहीं था। इस कारण उनके पिता राजमल डूंगरवाल ने आचार्य जयंत सेन सूरिश्वर मसा से नीमच में गुरु मंदिर बनाने की बात कही। तो गुरुदेव ने राजमल डूंगरवाल से कहा कि यह मंदिर आप ही नीमच में बनवाएं। बस फिर क्या था, गुरु का आदेश मिलते ही पूरा डूंगरवाल परिवार मंदिर निर्माण में जुट गया। इस मंदिर का निर्माण होते ही १४ मई २०१४ को ९ दिवसीय महोत्सव के साथ प्राण प्रतिष्ठा की गई।
शंखेश्वर पाश्र्वनाथ राजेंद्र सूरी जैन मंदिर में महावीर स्वामी, मुनि सुव्रत स्वामी, गौतम स्वामी, दादा गुरु राजेंद्र सूरिश्वर, पदमावती माता, महालक्ष्मी माता, दादा मणिभद्र सहित नाकोड़ा भैरव की प्रतिमाएं हैं। यहां पौष माह की सुदी सातम को राजेंद्र सूरी मसा का जन्मोत्सव व निर्वाण दिवस मनाया जाता है। जिसमें सकल जैन समाज उपस्थित रहता है। साथ ही प्रत्येक माह की पूर्णिमा को १०८ दीपक से महाआरती व पाश्र्वनाथ पंच कल्याणक पूजन किया जाता है। इसी के साथ प्रत्येक माह की सुदी सप्तमी को दादा गुरुदेव राजेंद्र सूरिश्वर मसा का अष्टप्रकारी पूजन एवं पौष सुदी सप्तमी को राजेंद्र सूरी गुरुपद महापूजन किया जाता है।
पर्युषण पर्व पर हर दिन विशेष अंगरचना
पर्युषण पर्व पर हर दिन आकर्षक अंगरचना की जा रही वहीं सुबह करीब ६.१५ बजे पक्षाल पूजा, पुष्प पूजन, केसर पूजन, अक्षत पूजन, धूप दीप पूजन, ८ बजे स्नात्र पूजन व शाम को अंगरचना की जा रही है।