
नई दिल्ली। चुनाव सुधार पर लोकसभा में चर्चा के दौरान बोलते हुए सीकर सांसद अमराराम ने चुनाव में कॉरपोरेट पैसे के इस्तेमाल पर सवाल उठाए। उन्होंने चुनाव में कॉरपोरेट पैसे पर रोक लगाने की मांग की। अमराराम ने कहा कि हर साल ही मतदाता सूचियों में नाम जोड़ने हटाने की प्रक्रिया होती है। फिर यह एसआईआर की जरूरत क्यों पड़ी? जिसने 75 साल की आजादी में 60 बार वोट दे दिया उससे आज चुनाव आयोग भारत की नागरिकता का प्रमाण पत्र मांग रहा है। कमाने के लिए पलायन करने वाले वोटर लिस्ट से बाहर होंगे। सबसे पहले इसका प्रयोग बिहार में किया गया। जिन्होंने 35 लाख 6 नम्बर फार्म नहीं भरें उसमें से कितने घुसपैठिये हैं, उन्हें देश से बाहर क्यों नहीं निकाला गया। पढ़ा लिखा आदमी कहीं से भी ऑनलाइन फार्म भर देगा। लेकिन अनपढ़ गरीब आदमी जो रोजी रोटी के लिए पलायन कर चुका है वह कैसे यह करेगा। इलेक्टोरल बांड को देश के सर्वोच्च अदालत ने गैर कानूनी घोषित किया। चुनाव को स्वतंत्र होने से रोकने का जतन किया जा रहा है। चुनाव सुधार तब ही हो सकता है जब चुनाव में कॉरपोरेट पैसे पर पाबंदी लगे। कॉरपोरेट के पैसे से चुन कर आने वाली सरकार उसी के लिए काम करेगी।
पाली के सांसद पीपी चौधरी ने कहा कि भारत के संविधान के तहत चुनाव आयोग को अधिकार दिए गए हैं। जो अधिकार केन्द्र सरकार को दिए गए हैं वो ही अधिकार चुनाव आयोग को भी दिए गए हैं। चुनाव आयोग को आर्टिकल 324 के तहत स्पेशल इंटेसिव रिविजन का अधिकार है। जिसे संसद भी खत्म नहीं कर सकती। चुनाव आयोग के गठन के बारे में संसद ने कानून बनाया है। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों के झूठ बोलने पर सजा का प्रावधान भी होना चाहिए। झूठ बोलने पर सदस्यता खत्म होने का प्रावधान होना चाहिए। चुनाव आयोग स्वतंत्र अथॉरिटी है। एसआईआर देशहित में बहुत आवश्यक है। जब तक विपक्षी दल चुनाव जीतते रहे तब तक ईवीएम सही थी अब चुनाव हारने लगे हैं तो ईवीएम खराब हो गई है। मतदाता ने पूरी तरह से रिजेक्ट किया है। कांग्रेस ने चुनाव सुधार के लिए कभी भी प्रयास नहीं किया।
Published on:
10 Dec 2025 02:59 pm
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