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सिर्फ निलंबन काफी नहीं, हटाया जाना चाहिए…इंडिगो फ्लाइट संकट पर भड़का दिल्ली हाईकोर्ट, जवाब-तलब

Delhi High Court: इंडिगो फ्लाइट संकट के मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई। इसके साथ ही डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) से जवाब भी तलब किया है।

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Delhi High Court angry on IndiGo flight crisis seeks response from Central Government and DGCA

इंडिगो फ्लाइट संकट पर भड़का दिल्ली हाईकोर्ट।

Delhi High Court: इंडिगो फ्लाइट संकट से देशभर के यात्रियों की परेशानियां बढ़ी हैं। बुधवार को इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने अहम सुनवाई की। दिल्ली हाईकोर्ट ने इसे सिर्फ एक एयरलाइन की तकनीकी समस्या या प्रबंधन की गलती नहीं माना, बल्कि राष्ट्रीय आर्थिक नुकसान और जनहित से जुड़ा बड़ा मुद्दा बताया। सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA), केंद्र सरकार और नागरिक उड्डयन मंत्रालय से तीखे सवाल किए। कोर्ट ने पूछा कि आखिर इतना बड़ा संकट पैदा कैसे हुआ? इसके लिए कौन जिम्मेदार है?

दरअसल, इंडिगो फ्लाइट संकट से जुड़ी एक जनहित याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई चल रही थी। इस बीच दिल्ली हाईकोर्ट ने इस स्थिति को 'गंभीर राष्ट्रीय संकट' बताया। अदालत ने कहा कि हजारों यात्री हर दिन एयरपोर्ट और शहरों में फंसे हुए हैं। टिकट रिफंड के लिए चक्कर काट रहे हैं, और यह स्थिति न केवल उनके लिए मानसिक व आर्थिक उत्पीड़न का कारण है, बल्कि इससे व्यापारी गतिविधियों, पर्यटन और लॉजिस्टिक नेटवर्क पर भी सीधा असर पड़ रहा है।

सरकार और DGCA से पूछा-जिम्मेदार कौन?

अदालत ने पूछा कि एयरलाइंस संचालन के लिए जिम्मेदार एजेंसियों ने समय रहते क्या कदम उठाए। इस दौरान सरकार की ओर से कोर्ट में मौजूद ASG चेतन शर्मा ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में इंडिगो के COO को निलंबित किया गया है। इसपर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि यह जवाब पर्याप्त नहीं है। कोर्ट ने कहा "सिर्फ COO को निलंबित कर दिया है, यह जवाब पर्याप्त नहीं है। इसके लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि समस्या की जड़ क्या है और सरकार ने इसे रोकने के लिए क्या ठोस कदम उठाए हैं? सिर्फ COO का निलंबन काफी नहीं है। जरूरत पड़े तो उन्हें नौकरी से हटाया जाना चाहिए।"

फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) लागू न करना बड़ा कारण?

दिल्ली हाईकोर्ट में मौजूद ASG चेतन शर्मा ने कहा कि लंबे समय से सरकार FDTL लागू कराने की कोशिश कर रही थी। एयरलाइंस ने इसे जुलाई और नवंबर में चरणों में लागू करने का आश्वासन दिया था। इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने DGCA से पूछा कि अगर यह नियम इतने महत्वपूर्ण थे तो एयरलाइंस को अतिरिक्त समय या छूट किसने दी और क्यों दी? दिल्ली हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि DGCA ने एयरलाइंस की स्पष्ट लापरवाही के बावजूद समय रहते कोई कठोर कार्रवाई क्यों नहीं की? इससे संदिग्ध प्रबंधन, स्टाफ की कमी और नियमों का पालन न करने जैसी समस्याएं बढ़ती रहीं।

किराया बढ़ने पर भी कोर्ट ने जताई नाराजगी

दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान एयरलाइंस संकट में किराया बढ़ने पर भी टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि एक कंपनी की फ्लाइटें रद होने से एयरलाइंस टिकटों की कीमत कैसे बढ़ा सकती है। कोर्ट ने कहा "जब एक ही रूट का टिकट सामान्य रूप से 5000 रुपये में मिलता है तो संकट के समय वह 35 से 40 हजार रुपये तक कैसे पहुंचा? यह इंडिगो फ्लाइट संकट के समय का फायदा उठाना है। सरकार ने ऐसे किराया बढ़ोतरी पर क्या कार्रवाई की?

पायलटों की कमी पर भी उठाया सवाल

DGCA ने बताया कि संकट की मुख्य वजह पायलटों की कमी है। इस पर कोर्ट ने सवाल किया कि इतनी बड़ी एयरलाइन ने समय रहते पर्याप्त पायलटों की भर्ती क्यों नहीं की? इस दौरान कोर्ट में DGCA पर गलत या अधूरी जानकारी देने का भी आरोप लगा। कोर्ट ने कहा कि इंडिगो संकट का व्यापक असर दिख रहा है। यह यात्रियों से लेकर अर्थव्यवस्था तक चोट पहुंचाने वाला मामला है। इस संकट का असर केवल हवाई यात्राओं तक सीमित नहीं रहा है। देश के प्रमुख रूटों पर कनेक्टिविटी बाधित हुई है। व्यापारिक यात्राओं में देरी से कंपनियों को नुकसान हुआ है। दिल्ली हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसे संकट दोबारा न हों, इसके लिए सरकार, DGCA और एयरलाइंस को मिलकर जवाबदेही तय करनी होगी और तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने होंगे।