
Dead people get married here in Karnataka: Viral Twitter thread explains how
भारत में ऐसी बहुत सारी परंपराएं और ज्ञान प्रचलन में थे, जो अब लुप्त हो गए हैं या अब प्रचलन से बाहर हो गए हैं। इन्हीं में से कर्नाटक में दक्षिण कन्नड़ जिले में एक परंपरा आज भी जीवित है, जिसे सुनकर आप हैरान हो जाऐंगे। ये परंपरा है मरने के बाद की जाने वाली शादी। शायद अब आप सोच रहे होंगे की आखिर मरने के बाद कोई शादी कैसे कर सकता है। तो आपको बता दें कि दक्षिण कन्नड़ जिले में यह परंपरा अभी भी जीवित है, जहां दो बच्चों को मरने के बाद उनकी शादी कराई जाती है। हाल ही में गुरुवार को दो मरे हुए बच्चों को शादी के बंधन में बांधा गया है। अब इस परंपरा के पीछे कारण तो जरूर होगा ही, तो चलिए जानते हैं इस शादी के पीछे का रहस्य।
हाल ही में हुई इस शादी की वीडियो को यूट्यूबर एनी अरुण ने ट्विटर पर शेयर किया है। यूट्यूबर ने ट्वीट किया, "मैं आज एक शादी में शामिल हो रहा हूं। अब आप कहेंगे की इसमें ट्वीट करके बताने की क्या बात है। आपको बता दूं कि दुल्हा वास्तव में मर चुका है और दुल्हन भी मर चुकी है। इनकी मौत लगभग 30 साल पहले हुई थी और आज उनकी शादी है। यह उन लोगों को अजीब लग सकता है जो दक्षिण कन्नड़ की परंपराओं के आदी नहीं हैं। लेकिन यह यहां एक गंभीर परंपरा है।"
एनी अरुण ने आगे लिखा, "जिन बच्चों की 18 साल की उम्र से पहले मौत हो जाती है, उनकी मृत्यु के कुछ साल बाद उनकी ही जैसी मृत्यु पाने वाले बच्चों से शादी करा दी जाती है। दक्षिण कन्नड़ में यह परंपराएं चलन में हैं क्योंकि लोग मानते हैं कि उनके प्रियजन की आत्मा भटकती है और उन्हें कभी ‘मोक्ष’ नहीं मिलता है। लोगों का मानना है कि किसी का भी जीवन शादी के बिना अधूरा है और परिवार को भटकती आत्मा से समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।"
उन्होंने आगे लिखा कि शादी के दौरान होने वाली सारी परंपराएं इस शादी में भी निभाई जाती हैं। सगाई से लेकर शादी के बंधन में बंधने तक सारी परंपरा को निभाया जाता है। इस शादी में दूल्हे द्वारा लाई गई 'धारे साड़ी' को दुल्हन को शादी के समय पहनाया जाता है। दुल्हा और दुल्हन को शादी के कपड़े पहनाए जाते हैं और बाकी सारे समारोह और रस्म किए जाते हैं। इस दौरान मुहूर्त देखकर सात फेरे, कन्यादान और मंगलसूत्र का बंधन जैसी सभी परंपराओं का पालन होता है।
शादी के बाद परिवार के सभी लोग नवविवाहितों को आशीर्वाद देते हैं। नवविवाहित बाहर जाकर सभी दिशाओं से देवताओं का आशीर्वाद लेते है। फिर उनका दुल्हा-दुल्हन के रूप में गृह-प्रवेश किया जाता है। अंत में दुल्हन के परिवार अपनी बेटी की जिम्मेदारी दूल्हे के परिवार को सौंप देते हैं। बता दें, ये शादी मरे हुए बच्चों के माता-पिता उनकी आत्माओं की खुशी के लिए करते हैं। इस शादी को 'प्रेत कल्याणम' भी कहा जाता है। आज भी कर्नाटक और केरल के कई हिस्सों में कुछ समुदायों के लोग इस परंपरा को निभाते आ रहे हैं।
यह भी पढ़ें: बिहार का एक ऐसा गांव जहां 12 घंटे के लिए जंगल चले जाते हैं लोग, जाते वक्त घरों में ताले तक नहीं लगाते
Updated on:
31 Jul 2022 08:54 pm
Published on:
29 Jul 2022 09:43 pm
बड़ी खबरें
View Allनई दिल्ली
दिल्ली न्यूज़
ट्रेंडिंग
