सोशल ज्यूरिस्ट और सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने बताया कि अकेले दिल्ली में ही छह से आठ लाख बच्चे स्कूलों में शिक्षा पाने से वंचित हैं। एडवोकेट अग्रवाल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि सरकार अलिखित नीति के तहत काम कर रही है कि ज्यादा से ज्यादा बच्चों को स्कूलों से दूर रखो। साथ ही जो स्कूलों में एक या दो साल से फेल हो रहे हैं उन्हें भी स्कूलों से बाहर निकालने के रास्ते खोजे जा रहे हैं, ताकि वे यह दिखा सकें कि हमारे पास स्कूलों में 40 बच्चों पर एक शिक्षक मौजूद हैं।
अग्रवाल ने कहा कि इनको करना यह चाहिए था कि शिक्षकों की संख्या बढ़ाते, लेकिन इन्होंने दूसरा तरीका अपना लिया कि बच्चों को घटाकर मौजूदा प्रणाली को ठीक कर दिया जाए, ताकि दुनिया को लगे कि यहां स्कूल बेहतर तरीके से कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दृष्टिकोण की कमी है, जिससे बच्चों का काफी नुकसान हो रहा है। अकेले दिल्ली में ही छह से आठ लाख बच्चे स्कूलों में शिक्षा पाने से वंचित हैं। इन बच्चों को स्कूलों में होना चाहिए। यह वह बच्चे हैं, जो स्कूल से ड्रॉपआउट हैं या कभी स्कूल ही नहीं गए हैं।
आपको बता दें कि उच्च न्यायालय ने हाल ही में दिल्ली सरकार को कैंप लगाकर इन बच्चों को स्कूलों में दाखिले देने को कहा था, जिस पर अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने कहा कि अदालत के आदेश पर सरकार ने डिप्टी कलेक्टर के कार्यालयों में आठ से 10 कैंप खोल दिए। आदेश के मुताबिक इन्हें सैकड़ों कैंप लगाने चाहिए थे, सारा मानव संसाधन उसमें लगाकर बच्चों को ढूंढकर लाना चाहिए था। आठ लाख में से कम से कम इन्हें डेढ़ लाख बच्चों को स्कूलों में दाखिल कराना चाहिए था। लेकिन कैंपों में अपने नियमों का हवाला देकर यह बच्चों को मना कर रहे हैं। यह सिर्फ लोगों की आंखों में धूल झोंक रहे हैं।