
दिल्ली: 'आप' सरकार के दावों के बावजूद सरकारी स्कूलों में बच्चों को नहीं मिल रहा है एडमिशन
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में शिक्षा के क्षेत्र में सुधार को लेकर सीएम अरविंद केजरीवाल ने लाख दावे किए लेकिन इसके बाद भी आज ऐसी हालात है कि कोई भी गरीब और कम जानकार लोगों के बच्चों का सरकारी स्कूलों में दाखिला कर पाना एक टेढ़ी खीर से कम नहीं है। दरअसल सीएम केजरीवाल के तमाम दावों के बीच दिल्ली में सैंकड़ों ऐसे मामले हैं जहां सरकारी स्कूल मैनेजमेंट ने बच्चों को दाखिला देने से इनकार कर दिया और इसके पीछे अलग-अलग तरीके के कारण बताए जा रहे हैं। सबसे हैरानी की बात यह है कि कारण भी ऐसे बताए जा रहे हैं जो दाखिले के लिए जरूरी भी नहीं है।
दिल्ली से बाहर के बच्चों को हो रही है परेशानी
आपको बता दें कि राजधानी दिल्ली में आकर रह रहे लोगों के लिए काफी परेशानी हो रही है। दिल्ली से बाहर के होने के कारण उनके बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिला नहीं मिल पा रहा है। दिल्ली के सरकारी स्कूलों की मैनेजमेंट टीम यह कह कर अपना पला झाड़ लेती है कि आपको पास दिल्ली का आवासीय प्रमाण पत्र नहीं है। जब तक आपके पास दिल्ली का आवासीय प्रमाणपत्र नहीं होगा तबतक बच्चे को दाखिला नहीं मिल सकता है। बता दें कि राजधानी दिल्ली में लगभग 70 प्रतिशत ऐसे लोग हैं जो कि विभिन्न राज्यों से आकर यहां बसे हैं। कोई नौकरी करने के लिए यहां रह रहा है तो कोई बिजनेस करने के लिए। अब ऐसे में यह कैसे संभव हो सकता है कि हर किसी को दिल्ली का आवासीय प्रमाण पत्र मिल जाए।
दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल की गई है पीआईएल
आपको बता दें कि इस समस्या के समाधान के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल की गई है। दिल्ली हाई कोर्ट के वकील अशोक अग्रवाल ने करीब 400 ऐसे मामलों को हवाला दिया है। हाईकोर्ट इस मामले को लेकर अब शुक्रवार से सुनवाई करेगी। इस मामले को लेकर अशोक अग्रवाल कहते हैं कि राइट टू एजुकेशन के तहत हर बच्चों को शिक्षा का अधिकार है। यदि किसी तरह से उनके पास कोई कागजात नहीं है तो भी उनको शिक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता है। बता दें कि अब सैंकड़ों परिवारों को दिल्ली हाईकोर्ट के निर्णय पर टिकी है।
Published on:
20 Jul 2018 03:30 pm
बड़ी खबरें
View Allनई दिल्ली
दिल्ली न्यूज़
ट्रेंडिंग
