
नाबालिग रेपिस्टों की मौत की सजा के खिलाफ याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट 16 अगस्त को करेगा सुनवाई
नई दिल्ली। 12 साल तक के मासूमों से यौन उत्पीड़न और रेप की वारदात को रोकने और दोषियों को मौत की सजा सुनाए जाने के वाले आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक 2018 को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय 16 अगस्त को सुनवाई करेगा। इसके लिए 5 सदस्यीय समिति का गठन कर दिया गया है।
लोकसभा में पास हुआ बिल
वहीं, संसद के मॉनसून सत्र में सोमवार को इस कानून के संबंध में बिल लोकसभा से पारित हो गया। अब बस इस कानून को राज्यसभा में पारित करना है। ऐसी उम्मीद जताई जा रहा है कि इस बिल पर सभी दल एकमत है और इसे राज्यसभा में मंजूरी मिल जाएगी। बता दें कि इस संबंध में एक अध्यादेश 21 अप्रैल को लागू किया गया था।
सदन में क्या कहा किरेन रिजीजू ने
बता दें कि इस बिल पर चर्चा करते हुए किरेन रिजीजू ने कहा कि आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक 2018 लड़कियों, महिलाओं समेत मासूम बच्चियों को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए लाया गया है। उन्होंने कहा कि इस बिल में पीड़िता को कई सुविधाए दी जाएंगे। इनमें दुष्कर्म के मामलों की सुनवाई महिला जज द्वारा करने सहित महिला पुलिस अधिकारी द्वारा पीड़िता के बयान दर्ज करने का प्रावधान रखा गया है।
दोनों सदनों में पारित होने के बाद बन जाएगा कानून
किरेन रिजीजू ने सदन को बताया कि अभी जो कानून था उसमें वयस्क महिला से दुष्कर्म के दोषी को मौत की सजा का प्रावधान था, लेकिन 16 साल से कम उम्र की बच्चियों से रेप के लिए फांसी की सजा का नियम नहीं था। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के कठुआ में मासूम के साथ गैंगरेप और हत्या से पूरा देश सदमे में था। इस घटना से उपजे आक्रोश के बाद केंद्र सरकार ने दुष्कर्मियों को कड़ी से कड़ी सजा देने के उद्देश्य से यह अध्यादेश लागू किया था। दोनों सदनों में पारित होने के बाद यह कानून बन जाएगा।
Published on:
31 Jul 2018 06:24 pm
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