
दिल्ली में यमुना डूब क्षेत्र से अवैध अतिक्रमण हटाने का दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया निर्देश।
Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने एक बार फिर यमुना नदी के डूब क्षेत्र में अतिक्रमण पर सख्ती दिखाई है। इसके लिए डीडीए को आदेश दिया है कि 10 जनवरी तक यमुना का डूब क्षेत्र पूरी तरह अवैध कब्जे से मुक्त किया जाए। इसके लिए मामले में सभी पक्षकारों को आदेश जारी किया गया है। इसमें उन संपत्तियों के केयरटेकर भी शामिल हैं, जिन्हें कोर्ट ने अवैध निर्माण माना है। इसके साथ ही कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा कि चाहे वो दरगाह हो या मस्जिद-कब्रिस्तान, 10 जनवरी 2026 तक सभी कब्जे यमुना डूब क्षेत्र से हटाए जाएं। यह फैसला यमुना के बाढ़ क्षेत्रों में अवैध निर्माण पर रोक लगाने और नदी किनारे सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट यमुना नदी के डूब क्षेत्र में अवैध कब्जे के मामले पर सुनवाई कर रही थी। इस दौरान न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने स्पष्ट आदेश दिया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में मकान, शेड या किसी भी प्रकार का धार्मिक ढांचा खड़ा करना प्रतिबंधित है। इसके बावजूद कुछ लोगों ने अवैध कब्जा कर सरकारी जमीन पर अतिक्रमण किया है। हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि चाहे कब्जा कब्रिस्तान या धार्मिक प्रयोजन के नाम पर ही क्यों न हो, इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती।
मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट में मौजूदा यमुना डूब क्षेत्र में बने कब्रिस्तार के केयर टेकर ने तर्क दिया कि यह जमीन वक्फ बोर्ड को आवंटित की गई थी। इसपर याचिकाकर्ता ने जवाब दिया कि दस साल पहले यमुना डूब क्षेत्र में कोई कब्रिस्तान नहीं था। यह निर्माण हाल ही के सालों में किया गया है। इसके साथ ही याचिकाकर्ता ने अदालत को नौ गजा पीर दरगाह और उससे सटे क्षेत्र में लगातार हो रहे अवैध कब्जे की जानकारी दी। इसपर दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि जांच के दौरान सामने आया है कि यमुना डूब क्षेत्र में बड़े-बड़े पेड़ काटकर अवैध कब्जे किए गए हैं। यह बहुत गंभीर मामला है, जो अवैध कब्जों के साथ-साथ प्रकृति को भी नुकसान पहुंचा रहा है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) को निर्देश दिया कि एक सप्ताह के अंदर कब्रिस्तान क्षेत्र में बाड़ लगाया जाए। ताकि जमीन पर अवैध कब्जों के विस्तार को रोका जा सके। अदालत ने यह भी कहा कि अब किसी नए निर्माण या अवैध कब्जे की अनुमति नहीं होगी। कब्रिस्तान में मुर्दों को दफनाने की प्रक्रिया बाड़ के अंदर जारी रखी जा सकती है, लेकिन दफनाने की प्रक्रिया के बाद किसी को वहां रहने या रुकने की इजाजत नहीं दी जाएगी। इसके अलावा दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) को आदेश दिया है कि वह 31 मार्च 2026 के बाद यमुना के डूब क्षेत्र में किसी भी तरह की गतिविधि या कब्जा जारी न रखें।
दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि अदालत से स्पष्ट निर्देश मिलने के बावजूद यमुना डूब क्षेत्र से बैचिंग प्लांट और कास्टिंग यार्ड हटाने में लापरवाही बरती गई। हालांकि, जरूरी मेट्रो परियोजनाओं को ध्यान में रखते हुए समयसीमा बढ़ाई गई है। अदालत ने निर्देश दिया कि मशीनरी हटाकर क्षेत्र को साफ किया जाए और उसे डीडीए के हवाले किया जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने केयरटेकर समेत सभी संबंधित पक्षों को 10 जनवरी 2026 तक जमीन खाली करने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 27 जनवरी 2026 को निर्धारित की गई है।
Published on:
31 Dec 2025 12:36 pm
बड़ी खबरें
View Allनई दिल्ली
दिल्ली न्यूज़
ट्रेंडिंग
