
नई दिल्ली। पंजाब नेशनल बैंक घोटालें में अब कुछ दिलचस्प खुलासे हो रहे है। अब इस खुलासे में इंफोसिस टेक्रनोलॉजी के कुछ अज्ञात कर्मचारी, आयकर विभाग के कुछ अधिकारी और बेंगलुरु के एक फर्जी चार्टर्ड अकाउंटेंट के संलिप्त होने की खबर आ रही है। इसका खुलासा तब हुआ जब सीबीआई रिवाइज्ड टैक्स रिटन्र्स से जुुड़े एक फर्जीवाड़े की जांच कर रही थी। इस मामले में दर्ज एफ आईआर से पता चला है कि, आयकर विभाग को इस फर्जीवाड़े का पता जनवरी माह के आखिरी दिनों में ही लग गया था। एफआईआर में जिक्र किया गया था कि, आयकर विभाग के कुछ अधिकारी, इंफोसिस के कुछ कर्मचारी और एक फर्जी सीए को मिलीभगत से 1010 रिवाइज्ड टैक्स रिटन्र्स किया गया था।
अवैध तरीके से क्लेम करते थे टैक्स रिटन्र्स
इन्होने अवैध तरीके से रिफंड क्लेम करने के लिए तीन असेसमेंट वर्ष में फर्जी कागज बानकर अलग-अलग प्राइवेट कंपनियों के 250 करदाताओ के नाम रिवाइज्ड टैक्स रिटन्र्स फाइल किया था। इस मामले के सामने आने के बाद इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया ने शामिल सीए का फर्जी करार दिया है। आपको बता दें की आयकर विभाग के लिए ई-रिटन्र्स प्रोसेस को देखने को काम इंफोसिस कर रही है।
अधिकारियों की मिलीभगत से सिस्टम को देते थे धोखा
सीबीआई ने बताया कि, बेंगलूरु के सीए जिसका नाम नागेश शास्त्री है, जब रिटन्र्स फाइल कर रहा था उस समय आयकर विभाग और इंफोसिस के कुछ कर्मचारीयों ने फर्जी रिटन्र्स को सिस्टम से बचाने का काम किया। हालांकि इंफोसिस इन इस मामले पर एफआईआर कॉपी देखे बिना किसी भी प्रकार के टिप्पणी करने से मना कर दिया है। एफआईआर में कहा गया है कि, ई-रिटर्न्स की प्रोसेसिंग इन्फोसिस टेक्नॉलजीज लि. को आउटसोर्स की गई है जो थोक में रिटर्न्स को वैलिडेट करता है और जिन रिफंड्स क्लेम के अप्रूवल की जरूरत होती है, उसकी लिस्ट तैयार करता है। सीपीसी में कार्यरत आई-टी डिपार्टमेंट के असेसिंग ऑफिसरों ने असेसीज के बैंक अकाउंट्स में रिफंड्स रिलीज करने के अप्रूवल दे दिए।'
Updated on:
03 Mar 2018 03:09 pm
Published on:
03 Mar 2018 02:23 pm
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