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मोबाइल फोन कंपनियों के लिए मोदी सरकार ने जारी किए सख्त नए नियम, यह है बड़ी वजह

साइबर अटैक से बचाव के लिए मोदी कैबिनेट ने बुधवार को उठाया बड़ा कदम। शीर्ष सुरक्षा पैनल द्वारा प्रमाणित दूरसंचार उपकरणों का इस्तेमाल करेंगी फोन कंपनियां। एनएसए अजीत डोभाल को रिपोर्ट करने वाले राजिंदर खन्ना कर रहे पैनल की अध्यक्षता।

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COVID-19 Vaccination: PM Modi meeting with all CMs on January 11

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को आयोजित बैठक में फैसला लिया कि भारत में फोन कंपनियां केवल एक शीर्ष सुरक्षा पैनल द्वारा प्रमाणित दूरसंचार उपकरणों का इस्तेमाल कर सकती हैं। यह प्रमाण पत्र एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार) अजीत डोभाल को रिपोर्ट करने वाले डिप्टी-एनएसए राजिंदर खन्ना की अध्यक्षता में एक सुरक्षा पैनल द्वारा जारी किया जाएगा।

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इस मामले से जुड़े लोगों ने बताया कि भारत की बाहरी खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के पूर्व प्रमुख राजिंदर खन्ना राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय में टेक्नोलॉजी सेक्शन का नेतृत्व करते हैं। वहीं, केंद्रीय दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, "यह राष्ट्रीय सुरक्षा के संबंध में एक बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय है, क्योंकि उन्होंने दूरसंचार क्षेत्र पर राष्ट्रीय सुरक्षा निर्देश का अनावरण किया था जिसे कैबिनेट द्वारा कुछ मिनटों पहले मंजूरी दे दी गई थी।"

इन नए निर्देश के लिए फोन कंपनियों को अपने मौजूदा उपकरणों को बदलने की आवश्यकता नहीं है और ना ही यह मौजूदा एनुअल मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट या मौजूदा उपकरणों के अपडेट को प्रभावित करेगा। यह कदम मोबाइल कंपनियों द्वारा हुआवे (जिसका मुख्यालय चीन में है) द्वारा निर्मित उपकरणों का इस्तेमाल करके भारत और विदेश में व्यक्त की गई चिंताओं की पृष्ठभूमि के खिलाफ है। संयुक्त राज्य अमरीका द्वारा इस पर बीजिंग के लिए जासूसी करने का आरोप लगाया गया था।

एक अधिकारी ने कहा कि नए सुरक्षा निर्देश बीते जुलाई में भारत की प्रमुख खुफिया एजेंसी द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में चीनी कंपनियों द्वारा उठाए जा रहे जोखिमों पर दी गई एक प्रजेंटेशन से निकलकर आए हैं। हालांकि रविशंकर प्रसाद ने किसी देश या कंपनी का नाम नहीं लिया।

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एक सरकारी अधिकारी ने संकेत दिया कि नए सिरे से बनाए गए सुरक्षा निर्देशों से भारत को चीनी कंपनियों द्वारा तैयार किए गए उपकरणों के आस-पास की चिंताओं का समाधान करने में मदद मिलेगी, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि इस नीति को अन्य जोखिमों के खिलाफ भी भारतीय दूरसंचार के बुनियादी ढांचे को सुरक्षित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

उन्होंने कहा कि सरकार साइबर हमलों से होने वाले जोखिम को कम करना चाहती है। भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (सीईआरटी-इन) ने 2019 में 4 लाख साइबर घटनाओं की सूचना दी। इस साल अगस्त में सरकार ने 7 लाख साइबर घटनाओं की सूचना दी।

पिछले एक साल के दौरान इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने अगस्त में संसद को बताया कि सरकार और व्यावसायिक संस्थाओं को साइबर अपराध के लिए 124 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। अधिकारी ने कहा, "तथ्य यह है कि भारत साइबर हमलों का सामना करने वाले दुनिया के शीर्ष तीन देशों में शामिल है।"

कैसे काम करेगा यह सिस्टम

भारत के राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक लेफ्टिनेंट जनरल (retd) राजेश पंत उन दूरसंचार उपकरणों की एक सूची जारी करेंगे जो नए सुरक्षा निर्देश के तहत कवर किए जाएंगे। जनरल पंत का कार्यालय डिप्टी-एनएसए राजिंदर खन्ना की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा मंजूरी दे दिए जाने के बाद टेलीकॉम सेवा प्रदाताओं के लिए 'ट्रस्टेड सोर्सेस / ट्रस्टेड प्रोडक्ट्स' की एक सूची को अधिसूचित करेगा।

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दूरसंचार पर राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (नेशनल सिक्योरिटी कमेटी ऑन टेलिकॉम) नामक समिति में दो उद्योग प्रतिनिधियों और एक स्वतंत्र विशेषज्ञ के अलावा संबंधित सरकारी विभागों के प्रतिनिधि होंगे। समिति को कंपनियों को ब्लैक लिस्ट करने का भी अधिकार दिया गया है जो फोन कंपनियों को उपकरण बेचने की अनुमति नहीं देंगे।

दूरसंचार पर राष्ट्रीय सुरक्षा समिति को "विश्वसनीय स्रोत" के रूप में पहचानी जाने वाली कंपनियों को इस संबंध में मानदंडों को पूरा करने के लिए आत्म निर्भर भारत के तहत प्रोत्साहन देने के लिए भी अधिकृत किया गया है।

दूरसंचार सेवा प्रदाताओं और उपकरण विक्रेताओं द्वारा एप्लीकेशंस के आसान अपलोड के लिए एक पोर्टल लॉन्च किया जाएगा। अधिकारी ने कहा कि यह फोन कंपनियों और उपकरण विक्रेताओं को एक अनुमानित मूल्यांकन पद्धति प्रदान करके व्यवसाय करने में आसानी को बेहतर करेगा।