Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

गवर्नर को 300 करोड़ रिश्वत की पेशकश! सामने आएगा आरएसएस नेता का नाम?

Kiru Hydropower Project: किरू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट में 2200 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार मामले में सीबीआई ने अपनी चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी है। इसमें जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक समेत कई बड़े अधिकारियों और कंपनियों के नाम हैं।

3 min read
Google source verification
Kiru Hydropower Project: गवर्नर को 300 करोड़ रिश्वत की पेशकश! सामने आएगा आरएसएस नेता का नाम?

Kiru Hydropower Project: गवर्नर को 300 करोड़ रिश्वत की पेशकश! सामने आएगा आरएसएस नेता का नाम? (फोटोः @SatyapalMalik6)

Kiru Hydropower Project: जम्मू-कश्मीर के किरू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट में 2200 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार मामले में एक आरएसएस नेता का नाम भी शामिल है। इसके साथ ही सीबीआई ने चार्जशीट में जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन राज्यपाल सत्‍यपाल मलिक समेत कई बड़े अधिकारियों और कंपनियों के नाम शामिल हैं। इस मामले में सबसे चौंकाने वाला दावा स्वयं पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने किया था। उन्होंने कहा था कि 2018 से 2019 के बीच जब वे जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे, तब उन्हें इस परियोजना से जुड़ी दो फाइलों को मंजूरी देने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी। इसमें एक फाइल राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े एक नेता की थी।

गवर्नर पद से हटने के बाद किए गए मलिक के इसी दावे के बाद अप्रैल 2022 में सीबीआई ने आधिकारिक रूप से जांच शुरू की थी। इस मामले में सीबीआई ने अनिल अंबानी की रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी और CVPPPL के अधिकारियों सहित अन्य के खिलाफ दो मामले दर्ज किए। इसके साथ ही कई जगह छापेमारी कर तलाशी अभियान चलाया। इसमें सत्यपाल मलिक के घर की तलाशी भी शामिल है।

सीबीआई की चार्जशीट और आगे की कार्रवाई

बताया जाता है कि सीबीआई को जांच में कई ऐसे दस्तावेज़ और डिजिटल साक्ष्य मिले हैं जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि ठेका प्रक्रिया में निर्धारित नियमों और प्रक्रियाओं का उल्लंघन हुआ है। इन साक्ष्यों के आधार पर अब आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी गई है और आगे की कानूनी कार्रवाई जारी है। लेकिन, बड़ा सवाल यह बना ही हुआ है कि मलिक आरएसएस के किस बड़े नेता की बात कर रहे थे?

यह भी पढ़ें : सितंबर तक सभी पद भरिए वरना कार्रवाई के लिए तैयार रहें…रेखा सरकार को सुप्रीम कोर्ट की दो टूक

किरू हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के मामले में सीबीआई की एफआईआर में कहा गया है कि इस मामले में जम्मू-कश्मीर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और बिजली विभाग द्वारा जांच की गई थी। यह जांच जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट जनरल मनोज सिन्हा के आदेश पर की गई थी।

सीवीपीपीपीएल की बोर्ड बैठक के निर्णय की अनदेखी

सीबीआई जांच में खुलासा हुआ है कि साल 2019 में सीवीपीपीपीएल की 47वीं बोर्ड बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि प्रोजेक्ट के सिविल वर्क्स के लिए निविदा प्रक्रिया को ई-टेंडरिंग और रिवर्स ऑक्शन के माध्यम से फिर से कराया जाएगा। यह फैसला पारदर्शिता सुनिश्चित करने और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया था, लेकिन इसके बावजूद बोर्ड बैठक के निर्णय को दरकिनार कर सीधे तौर पर ठेका पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड को सौंप दिया गया। इससे परियोजना की निष्पक्षता और सार्वजनिक संसाधनों की पारदर्शी उपयोगिता पर सवाल खड़े हो गए।

इसके बाद सीबीआई ने फरवरी 2024 में इस मामले में बड़े स्तर पर कार्रवाई करते हुए दिल्ली और जम्मू-कश्मीर सहित देशभर के 30 से अधिक स्थानों पर छापेमारी की। इनमें तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक के निवास के साथ ही उनके नजदीकी सहयोगियों के ठिकाने और परियोजना से जुड़े अधिकारियों के आवास शामिल थे। अधिकारियों ने दावा किया कि इस परियोजना पर घटिया काम के आरोप लगे हैं और स्थानीय बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने में भी यह विफल रही है। एसीबी जांच में पाया गया कि परियोजना का टेंडर सीवीपीपीपीएल की 47वीं बोर्ड मीटिंग में रद्द कर दिया गया था, लेकिन 48वीं बोर्ड मीटिंग में इसे फिर से शुरू किया गया और पटेल इंजीनियरिंग को दिया गया।

जांच के घेरे में कौन-कौन?

सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में जिन्हें आरोपी बनाया है। उनमें जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक, चेनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (CVPPPL) के पूर्व अध्यक्ष नवीन कुमार चौधरी, तत्कालीन प्रबंध निदेशक एमएस बाबू, बोर्ड निदेशक एमके मित्तल और अरुण कुमार मिश्रा, सत्यपाल मलिक निजी सचिव वीरेंद्र राणा और कंवर सिंह राणा के साथ ही एक निजी व्यक्ति कंवलजीत सिंह दुग्गल का नाम शामिल है। इसमें ठेका प्राप्त करने वाली कंपनी पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड का नाम भी शामिल है। इन सभी लोगों पर टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी कर लाभ उठाने का आरोप है।

यह भी पढ़ें : ‘ये मोदी सरकार और भाजपा के मुंह पर जोरदार तमाचा’…प्रोफेसर अली खान की बेल पर बोली AAP

क्या है चेनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स?

सीवीपीपीपीएल का मतलब चेनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (Chenab Valley Power Projects Private Limited) है। यह एक संयुक्त उद्यम है। जिसमें नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन (NHPC), जम्मू और कश्मीर स्टेट पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (JKSPDC) और पावर ट्रेडिंग कॉरपोरेशन (PTC) शामिल हैं। यह कंपनी जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण और संचालन से संबंधित है।

एनएचपीसी और जेके स्टेट पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के बीच समझौता हुआ है और यह किरू जलविद्युत परियोजना को क्रियान्वित कर रहा है। आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने मार्च 2019 में 4,287.59 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली इस परियोजना को मंजूरी दी थी।