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शिवाजी के स्वराज, स्वधर्म और स्वभाषा की लड़ाई को आगे बढ़ा रहे मोदीः शाह

गृह मंत्री अमित शाह बोले- भारत का हर बच्चा पढ़े शिवचरित, शिवाजी महाराज को सिर्फ महाराष्ट्र तक सीमित नहीं रखना चाहिए अमित शाह ने महाराष्ट्र के रायगढ़ किले पर छत्रपति शिवाजी महाराज की 345वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देकर गौरवमयी इतिहास को किया याद

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Photo - IANS)

नई दिल्ली। गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने भारत के हर बच्चे को शिवचरित पढ़ाने पर जोर देते हुए कहा है कि शिवाजी महाराज को महाराष्ट्र तक सीमित नहीं रखना चाहिए, पूरा देश और पूरी दुनिया उनसे प्रेरणा ले सकती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिवाजी महाराज के उस अंतिम संदेश को आगे बढ़ा रहे, जिसमें उन्होंने कहा था कि स्वराज, स्वधर्म के सम्मान और स्वभाषा को अमर बनाने की लड़ाई रुकनी नहीं चाहिए। शिवाजी महाराज ने काशी विश्वनाथ मंदिर के उद्धार, सभी ज्योतिर्लिंगों तक पहुंचने और राम जन्मभूमि का उद्धार करने को कहा था। यह सारे कार्य पीएम मोदी के शासनकाल में हुए। औरंगजेब ने जिस काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़वाया था, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनाकर पुनर्जीवित करने का काम भी प्रधानमंत्री मोदी ने किया

गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शनिवार को महाराष्ट्र के रायगढ़ किले पर छत्रपति शिवाजी महाराज की 345वीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ संबोधित करते हुए कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने छत्रपति शिवाजी को घर-घर तक पहुंचाने का अभियान शुरू किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने शिवाजी महाराज की राज मुद्रा को हमारी नौसेना का प्रतीक बनाकर पूरी दुनिया में घोषणा की है कि हमारा देश और हमारा स्वराज पूरी तरह सुरक्षित है।

शाह ने कहा कि जहां हिन्दवी स्वराज का स्वर्ण सिंहासन प्रस्थापित हुआ, उस ऐतिहासिक रायगढ़ किले पर आना सौभाग्य की बात है। छत्रपति शिवाजी ने हिन्दुस्तान के कण-कण में स्वधर्म, स्वभाषा और स्वराज के लिए अपने प्राणों की आहुति देने एक अमर जिजीविषा पैदा की और देखते ही देखते चारों ओर आदिलशाही, मुगलशाही, निजामशाही से घिरा हुआ महाराष्ट्र हिन्दवी स्वराज में बदल गया। अगले कुछ ही वर्षों में अटक से कटक, बंगाल और दक्षिण में तमिलनाडु समेत पूरे देश में स्वराज का स्वप्न सफल होता दिखाई दिया।

अमित शाह ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज के साथ न भाग्य था, न अतीत उनके साथ था और न ही धन एवं सेना उनके पास थी, लेकिन उन्होंने बहुत कम उम्र में अपने अदम्य साहस और संकल्प के साथ पूरे देश को स्वराज का मंत्र दिया और देखते ही देखते 200 साल से चल रही मुगल शाही को चकनाचूर करने का काम किया। जब शिवाजी महाराज की सेना अटक, बंगाल, कटक और तमिलनाडु तक पहुंची, तब सभी को भरोसा हुआ कि देश, स्वधर्म, देश की भाषाएं और संस्कृति बच गई हैं। उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से ऐसी व्यवस्था करने को कहा, जिससे 7वीं से 12वीं कक्षा का हर विद्यार्थी एक बार इस पुण्य स्थली पर जरूर आए।