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दिल्ली में अंतर विभागीय विवाद चल रहा है…यमुना में गिरने वाले 24 नालों की सफाई में देरी पर एनजीटी

National Green Tribunal: यमुना में गिरने वाले 24 नालों की सफाई मामले की सुनवाई कर रही एनजीटी की पीठ ने कहा दिल्ली में अंतर विभागीय विवाद के कारण नालों की सफाई का काम प्रभावित हो रहा है।

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National Green Tribunal: दिल्ली में अंतर विभागीय विवाद चल रहा है....यमुना में गिरने वाले 24 नालों की सफाई में देरी पर एनजीटी

National Green Tribunal: एनजीटी ने दिल्ली में अंतर विभागीय विवाद के चलते नालों की सफाई समय से पूरी नहीं होने पर चिंता जताई है। इसके साथ ही दिल्ली सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग (I&FCD) को मई तक निर्धारित समय सीमा के भीतर नालों की सफाई का काम पूरा करने का निर्देश दिया। गुरुवार को इसपर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली एनजीटी पीठ ने कहा कि पर्याप्त समय बीत चुका है और यदि निर्धारित समय के भीतर नालों से गाद निकालने का काम पूरा नहीं किया गया तो बाढ़ की चिंताओं के कारण खतरा पैदा हो जाएगा।

गुरुवार को यमुना में खुलने वाले 24 नालों की सफाई में देरी पर चल रही एनजीटी में सुनवाई के दौरान अतिरिक्त मुख्य सचिव (I&FCD) नवीन कुमार चौधरी ने अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा "दिल्ली के दो प्रमुख नालों कुशक और सुनेहरी पुल की गाद निकालने की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है, क्योंकि यहां नालियां भारी अतिक्रमण से ढकी हुई हैं। इन्हें केवल दिल्ली नगर निगम (MCD) और संबंधित एजेंसियों की मदद से साफ किया जा सकता है। हालांकि इस मामले पर एमसीडी को पत्र लिखा गया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला है।"

एनजीटी ने अंतर विभागीय विवाद पर क्या कहा?

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अतिरिक्त मुख्य सचिव (I&FCD) नवीन कुमार चौधरी का पक्ष सुनकर न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव ने कहा "दिल्ली में एक अंतर-विभागीय विवाद चल रहा है। जो नालों की पूरी जिम्मेदारी एक ही एजेंसी को सौंपने के दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देशों को अप्रभावी बना देता है। जब तक नालों के ढके हुए हिस्से की सफाई नहीं की जाती। तब तक नालों के ओवरफ्लो होने की समस्या का समाधान नहीं होगा।"

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इसके बाद एनजीटी ने अतिरिक्त मुख्य सचिव (I&FCD) को दो प्रमुख नालों से गाद निकालने के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर एक नया हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। इस दौरान अतिरिक्त मुख्य सचिव (I&FCD)ने एनजीटी को बताया कि इस मामले को सुलझाने के लिए मुख्य सचिव, जीएनसीटीडी (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार) और एमसीडी आयुक्त के साथ 10 दिनों में एक बैठक होगी।

नालों को लेकर डाली गईं विभिन्न याचिकाएं

दरअसल, दिल्ली के नालों से गाद निकालने और उसके रखरखाव की जिम्मेदारी सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग की है। इसलिए स्‍थानीय निवासियों ने एनजीटी में नालों से गाद निकालने का काम समय से पूरा करवाने के याचिकाएं डाली थीं। बारापुला और उसके सहायक नालों को लेकर डाली गई याचिकाओं में स्‍थानीय निवासियों ने दावा किया था कि नालों की सफाई न होने के कारण मानसून के दौरान दक्षिण दिल्ली के कई इलाकों में जलभराव हो जाता है। यदि सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग ने समय सीमा के भीतर गाद निकालने का काम पूरा नहीं किया तो जिन कॉलोनियों से ये नाले बहते हैं। वहां इस मानसून के दौरान पिछले साल की तरह बाढ़ या जलभराव का सामना करना पड़ सकता है।

12.7 करोड़ मीट्रिक टन से अधिक निकालनी है गाद

दरअसल, नालों से 12.7 करोड़ मीट्रिक टन से अधिक गाद हटाने के लक्ष्य के साथ I&FCD ने 21 फरवरी को NGT को एक नई समय सीमा दी थी। इसमें नजफगढ़ नाले की गाद निकालने की प्रक्रिया तीन साल में पूरी होने की उम्मीद जताई गई थी। जबकि बारापुला, शाहदरा और कुशक जैसे प्रमुख नालों सहित अन्य सभी नालों का काम मानसून के मौसम से पहले मई के अंत तक पूरा करने की बात कही गई थी। इस दौरान 21 फरवरी को एनजीटी ने यमुना में गिरने वाले 24 नालों की गाद निकालने और सफाई से संबंधित काम की प्रगति के बारे में 25 फरवरी तक हलफनामा देने को कहा था।

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अतिरिक्त मुख्य सचिव (I&FCD) नवीन कुमार चौधरी ने एनजीटी में 25 फरवरी को दायर एक हलफनामे में बताया "विभिन्न एजेंसियों ने दिल्ली में पार्किंग और पार्क के लिए कई क्षेत्रों में नालों को कवर किया है। नालों की गाद निकालने का काम I&FC विभाग को सौंपने से पहले कवर किए गए हिस्सों की गाद निकालने का काम "ड्रेन कवरिंग एजेंसियों" से करवाना चाहिए।" गुरुवार को सिंचाई विभाग ने एनजीटी को बताया कि नालों से गाद निकालने की समस्या के समाधान के लिए 10 दिनों में एमसीडी के मुख्य सचिव के साथ बैठक होगी।