ऐसे दिया था सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम उरी आतंकी हमले के बाद से ही भारतीय जवानों ने पीओके स्थित आतंकी लॉन्च पैड्स पर सर्जिकल स्ट्राइक करने की योजना बनानी शुरू कर दी थी। हालांकि, मिशन को अंजाम देने के लिए 28 और 29 सितंबर की दरमियानी रात को मेजर रोहित सूरी की अगुआई में आठ कमांडोज की एक टीम आतंकियों को सबक सिखाने के लिए रवाना हुई। मेजर सूरी की टीम ने पहले इलाके की रेकी की। सूरी ने टीम को आदेश दिया कि वे आतंकियों को उनके एक लॉन्चपैड पर खुले इलाके में चुनौती दें। सूरी और उनके साथी टार्गेट के 50 मीटर के दायरे के अंदर तक पहुंच गए और वहां दो आतंकियों को ढेर कर दिया।सूरी ने अपनी जान की परवाह न करते हुए दोनों आतंकियों को नजदीक से चुनौती दी और उन्हें भी ढेर कर दिया।
टीम ने बनाया पहले नक्शा नइ लॉन्चपैड्स को पर नजर रखने के लिए एक अन्य मेजर को जिम्मेदारी दी। यह अपनी टीम के साथ हमले के 48 घंटे पहले ही एलओसी पार कर लिया और दुश्मनों के ऑटोमैटिक हथियारों की तैनाती की जगह का पता लगाया। उन जगहों की भी जानकारी जुटाई, जहां से हमारे जवान मिशन के दौरान सुरक्षित रहकर दुश्मन पर फायरिंग कर सकें। उनकी टीम नजदीक स्थित एक अन्य हथियार घर से हो रही फायरिंग की जद में आ गए।
सर्जिकल स्ट्राइक नहीं था आसान काम यह सर्जिकल स्ट्राइक जितना आसान दिख रहा है उतना आसान भी नहीं था। हमला करने वाली एक टीम आतंकियों की जोरदार गोलाबारी के बीच घिर गई। हालांकि, इससे पहले कि ये आतंकी अपने मंसूबे में कामयाब होते, पांचवें मेजर ने अपनी जान की परवाह न करते हुए इन आतंकियों पर हमला बोल दिया और दो को ढेर कर दिया, जबकि तीसरे आतंकी को उनके साथी ने मार गिराया।