
न्यूयॉर्क. टीबी फिर दुनिया की सबसे घातक संक्रामक बीमारी बन गई है। इसके कारण कोविड-19 से भी ज्यादा मौतें हो रही हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ‘ग्लोबल ट्यूबरकुलोसिस रिपोर्ट 2024’ के मुताबिक 2023 में 82 लाख लोग टीबी से संक्रमित हुए। यह 1995 में डब्ल्यूएचओ के इस बीमारी की निगरानी शुरू करने के बाद सबसे बड़ी संख्या है।रिपोर्ट में बताया गया कि 2023 में टीबी से संक्रमित लोगों की अनुमानित संख्या 1.08 करोड़ रही। इनमें से 12.5 लाख की मौत हुई, जो 2022 के 13.2 लाख मौतों से कम है, लेकिन 2023 में कोविड-19 से हुई 3.2 लाख मौतों से काफी ज्यादा है। टीबी अब एचआइवी से भी ज्यादा लोगों की जान ले रही है। रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में एचआइवी से 6.8 लाख मौतें हुईं। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अधानोम गेब्रियासस ने कहा, यह चौंकाने वाली बात है कि टीबी को रोकने, पहचानने और इलाज के साधन के बाद भी इतने ज्यादा मरीज सामने आ रहे हैं। उन्होंने सभी देशों से टीबी के खिलाफ कदम उठाने की अपील की।
भारत समेत इन देशों में सबसे ज्यादा असर
टीबी का सबसे ज्यादा प्रभाव कम और मध्यम आय वाले देशों पर पड़ रहा है। दुनियाभर में इस बीमारी के मरीजों में से 87 फीसदी 30 देशों के हैं। इनमें भारत, इंडोनेशिया, चीन, फिलीपींस और पाकिस्तान सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। पिछले साल टीबी से संक्रमित लोगों में 55त्न पुरुष, 33त्न महिलाएं, 12त्न बच्चे और किशोर थे। रिपोर्ट के मुताबिक 50त्न मरीजों को इलाज पर भारी खर्च करना पड़ता है।
15 वैक्सीन विकास की प्रक्रिया में
रिपोर्ट में बताया गया कि टीबी के इलाज और निदान के क्षेत्र में प्रगति हो रही है। फिलहाल 15 टीबी वैक्सीन विकास की प्रक्रिया में हैं। इनमें से छह का परीक्षण उच्च जोखिम वाले देशों में चल रहा है। डब्ल्यूएचओ ने उम्मीद जताई है कि 2028 तक कम से कम एक नई प्रभावी टीबी वैक्सीन उपलब्ध हो सकती है।
Published on:
31 Oct 2024 12:09 am
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