नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास नियम, 2025 की अधिसूचना जारी कर दी है। इससे वक्फ संपतियों की आय से विधवा और तलाकशुदा महिलाओं के साथ अनाथ बच्चों को संबल देने का रास्ता खुल गया है। इसके अलावा वक्फ संपत्तियों के पोर्टल और डेटाबेस, उनके पंजीकरण के तरीके, ऑडिट के संचालन और खातों के रखरखाव के नियम भी बना दिए गए हैं।
दरअसल, केंद्र सरकार की ओर लाए गए वक्फ संशोधन कानून पर सियासी और कानूनी लड़ाई जारी है। इस बीच सरकार ने नए कानून कॉलेग करने के लिए नियम बनाए। नियमों के तहत प्रत्येक वक्फ व संपत्ति को एक यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर दिया जाएगा, जिससे सभी राज्यों में उनकी ट्रैकिंग और निगरानी संभव होगी
यदि वक्फ अलल औलाद में फायदे लेने वाले व्यक्ति के उत्तराधिकार का क्रम समाप्त हो गया हो यानी ऐसी वक्फ का कोई कानूनी उत्तराधिकारी नहीं हो। तब इस तरह की संपत्ति से होने वाली आय को विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं या अनाथों की भरण‑पोषण में खर्च किया जा सकेगा। इसके लिए फॉर्म‑1, फॉर्म‑2 और फॉर्म‑3 जारी किया गया है। भुगतान सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में किया जाएगा
दरअसल, मुस्लिम व्यक्ति अपनी संपत्ति को अपने परिवार के सदस्यों, जैसे बच्चों और नाती-पोतों के लाभ के लिए दान करता है तो उसे वक्फ अलल औलाद कहते हैं। जिसका मुख्य उद्देश्य परिवार की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करना होता है। ऐसी संपत्तियों से मिलने वाले किराए आदि आय वक्फ करने वाले व्यक्ति के परिवारों को मिलती है।
वक्फ संपत्तियों के लिए केंद्रीकृत ऑनलाइन पोर्टल और डेटाबेस की स्थापना की गई है, जिसका संचालन अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव (वक्फ विभाग) करेंगे।
हर राज्य सरकार को किसी संयुक्त सचिव‑उपाधि वाले अधिकारी को नोडल अधिकारी नियुक्त करना होगा। केंद्र की सलाह से एक केंद्रीय सहायता इकाई भी स्थापित होगी, जो वक्फ विवरण अपलोडिंग, लेखा रख-रखाव, ऑडिट आदि में सहयोग करेगी।
प्रत्येक मुतवल्ली (वक्फ प्रबंधक) को पोर्टल पर मोबाइल और ई‑मेल से ओटीपी‑आधारित प्रमाणीकरण से पंजीकरण करना होगा। इसके बाद वक्फ और संबंधित संपत्तियों का विवरण अपलोड करना अनिवार्य होगा।
जिला कलक्टर के संदर्भ पर गलत वक्फ डिक्लरेशन की जांच अधिकारी को 1 वर्ष भीतर पूरी करनी होगी। सर्वेक्षण पूर्ण होने पर, राज्य सरकार को 90 दिनों के भीतर गैजेट में औकाफ़ सूची प्रकाशित कर पोर्टल पर अपलोड करनी होगी, जिसमें पहचान, सीमाएं, उद्देश्य, वर्तमान मुतवल्ली और उपयोगकर्ता विवरण शामिल होंगे।
वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के लागू होने के बाद (8 अप्रैल) बनाए गए सभी नए वक्फों को उसी की स्थापना के 3 महीने के अंदर बोर्ड के समक्ष पंजीकरण करना जरूरी है।
वक्फ बोर्डों के लिए वार्षिक लेखा-जोखा, ऑडिट रिपोर्ट और रजिस्टर बनाए रखना अनिवार्य है। इससे लेन‑देन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी
Updated on:
05 Jul 2025 11:14 am
Published on:
05 Jul 2025 11:13 am