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पांच साल में ही उजड़ गया हेरिटेज ट्रैक

-2018 में शुरू हुई थी प्रदेश की पहली हेरिटेज ट्रेन-पातालपानीए कालाकुंड में संवारे गए बगीचे हो गए उजाड़-झूले से लेकर पाथवे तक जर्जर

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Shailendra shirsath

Sep 20, 2022

पांच साल में ही उजड़ गया हेरिटेज ट्रैक

पांच साल में ही उजड़ गया हेरिटेज ट्रैक

डॉ. आंबेडकर नगर (महू). प्रदेश की पहली हेरिटेज ट्रेन का संचालन 25 दिसंबर 2018 को हुआ था। इस प्रोजेक्ट के लिए रेलवे ने लाखों रुपए खर्च कर रंग-रोगन, गार्डन, प्लेग्राउंड आदि बनाए थे ताकि देशभर से आने वाले पर्यटक प्राकृतिक सौंदर्य को निहार सके। लेकिन रखरखाव नहीं होने विकास कार्य उजाड़ हो गए हैं। पातालपानी, कालाकुंड बनाए गए गार्डन में घास निकल आई हैं। कालाकुंड में बने झूले टूट चुके हैं। वहीं यात्रियों को मिलने वाली सुविधाएं भी सीमित कर दी गई हैं। जबकि इस ट्रेन से रेलवे को हर साल बेहतर राजस्व मिल रहा है।
हेरिटेज ट्रेन का संचालन 25 दिसंबर 2018 को शुरू हुआ था। कुछ माह में ही इस ट्रेन ने प्रदेश सहित देशभर में अपनी पहचान बना ली थी। कोरोना काल के चलते अपै्रल 2020 में इस ट्रेन का संचालन बंद कर दिया गया था। 4 अगस्त 2021 को ट्रेन में कई बदलाव कर दोबारा संचालन शुरू किया था। इस दौरान ट्रेन में विस्टाडोम कोच भी लगाए गए हंै। लेकिन रेलवे ने किराया 265 रुपए एक ओर का कर दिया। हालांकि सामान्य कोच का किराया 20 ही रखा गया है। इस सीजन में 10 जुलाई को ट्रेन का संचालन दोबारा शुरू किया गया था। इस ट्रेन से मिलने वाले राजस्व का आकलन इसी से लगाया जा सकता है कि करीब महीने भर में ही यानी 6 अगस्त तक इस ट्रेन में 17 हजार 266 से अधिक पर्यटकों ने सफर किया। जिससे रेलवे को 17 लाख 75 हजार रुपए से अधिक का राजस्व मिला। इससे पूरे सीजन का अंदाजा लगाया जा सकता है।
नहीं कर रहे मेंटनेंस
हेरिटेज ट्रेन के सफर को सुहाना और आकर्षक बनाने के लिए रेलवे ने 2018 में लाखों रुपए खर्च कर रंग रोगन, गार्डन, प्ले जोन आदि बनाया था। लेकिन बाद में इनका रखरखाव नहीं किया। पातालपानी, टांट्या भील, प्राचीन हनुमान मंदिर, ब्रिज, कालाकुंड आदि स्टापेज पर अलग-अलग कलाकृतियां भी बनाई गई थीं। अब यहां वर्तमान स्थिति यह है कि कालाकुंड में बने गार्डन में खरपतपावर निकलने लगी है। पौधे सूख चुके हैं। प्ले जोन में लगे झूले टूट चुके हंै। पेयजल के लिए नल भी चोरी हो चुके हंै। तत्कालीन डीआरएम आरएन सुनकर ने लाखों रुपए खर्च कर पहाड़ीए प्लेटफॉर्म आदि पर रंगरोगन भी किया थाए जो अब फिका हो चला है।