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भीलवाड़ा की आबादी हो गई 30 लाख को पार

भीलवाड़ा जिले में वर्ष 2024 में कुल आबादी 21 लाख रही, लेकिन इस साल जिले की आबादी 30 लाख हो गई। यह चौंकान्ने वाला आंकड़ा इस लिए सामने आया कि वर्ष 2024 में शाहपुरा, भीलवाड़ा से टूट कर नया जिला बना था और 17 माह बाद ही यह जिला समाप्त हो गया। हालांकि गत एक दशक में जिले ने विकास के नए आयाम भी स्थापित किए है।

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भीलवाड़ा। भीलवाड़ा जिले में वर्ष 2024 में कुल आबादी 21 लाख रही, लेकिन इस साल जिले की आबादी 30 लाख हो गई। यह चौंकान्ने वाला आंकड़ा इस लिए सामने आया कि वर्ष 2024 में शाहपुरा, भीलवाड़ा से टूट कर नया जिला बना था और 17 माह बाद ही यह जिला समाप्त हो गया। हालांकि गत एक दशक में जिले ने विकास के नए आयाम भी स्थापित किए है।

औद्योगिक क्रांति एवं विकास को पंख लगने से भीलवाड़ा जिले की आबादी का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। सां​ख्यिकी एवं आ​र्थिक विभाग के आंकडों के अनुसार जिले की आबादी तीस लाख को पार कर गई है। 7 अगस्त 2023 को शाहपुरा, कोटड़ी, जहाजपुर समेत पांच उपखंड के टूट कर नया शाहपुरा जिला बनने से भीलवाड़ा जिले की आबादी का ग्राफ लुढ़ कर साढ़े 21 लाख पर आ गया था। नवगठित जिले शाहपुरा की आबादी करीब साढ़े आठ लाख थी। लेकिन राज्य सरकार ने 17 माह उपरांत ही शाहपुरा जिले का दर्जा समाप्त करते हुए भीलवाड़ा जिले का हिस्सा बना दिया। इससे भीलवाड़ा जिला फिर आ​र्थिक रूप से मजबूत होने के साथ ही विकास की राह पर दौड़ पड़ा।

शहर में पांच लाख की आबादी

जिले की आबादी तीस लाख के पार हो चुकी है। वही भीलवाड़ा शहर की भी आबादी पांच लाख को पार कर चुकी है। बढ़ी आबादी की ही सौगात का नतीजा है कि भीलवाड़ा को नगर निगम की सौगात मिल गई। जबकि शाहपुरा जिला भले ही समाप्त हो गया, लेकिन शाहपुरा नगर परिषद की सौगात मिल गई।

शहर पन्द्रह किमी दूर तक फैला

जिले में पिछले एक दशक में करीब साढ़े छह लाख की आबादी बढ़ी है शहर की जनसंख्या में भी करीब डेढ़ लाख का इजाफा हुआ है। डेढ़ दशक पूर्व तक शहर पांच किलोमीटर के दायरे में ही था, लेकिन अब यह दायरा पन्द्रह किलोमीटर दूरी तक फैल गया हैं। मांडल, शाहपुरा व सहाड़ा विधानसभा क्षेत्र के गांव भीलवाड़ा शहरी क्षेत्र में आ रहे हैं।

जिला अभी भी प्यासा

जिले में बढ़ती आबादी के साथ ही पेयजल संकट की स्थिति गहराई हुई है। जिले में वर्ष 2013 से चम्बल पेयजल परियोजना पर काम हो रहा है, लेकिन भीलवाड़ा शहर की 30 फीसदी आबादी को चम्बल का पानी नहीं मिल सका है। इनमें पचास से अ​धिक निजी कॉलोनियां शामिल है। जिले की चालीस फीसदी ग्रामीण हिस्सा अभी भी प्यासा है।

मिनी इंडिया के रूप में पहचान

औद्योगिक विकास होने के कारण भीलवाड़ा जिले में आबादी तेजी से बढ़ी है। यहां यूपी, बिहार, बंगाल, दिल्ली, एमपी, पंजाब, झारखंड, महाराष्ट्र, गुजरात समेत देश के विभिन्न हिस्सों से लोग बसे हुए है। बढ़ती आबादी के अनुकूल यहां का नगर नियोजन नहीं होने से आंतरिक ढांचा सुदृढ़ नहीं हो सका है। पिछले एक दशक अच्छी बात यह रही कि जिले में रेलवे का विद्युतिकरण हुआ और अब दोहरीकरण कार्य प्रगति पर है। जयपुर हाइवे की सड़क सिक्सलेन में भी तब्दील हुई है।

80 हजार की आबादी ब्यावर के खाते में

जिला सांख्यिकी एवं आ​र्थिक विभाग की सहायक निदेशक डॉ. सोनल राज कोठारी ने बताया कि भीलवाड़ा जिले की अनुमानित आबादी तीस लाख से अ​धिक है। नए कैलेण्डर में भौगोलिक, प्रशासनिक, राजस्व, पर्यटन, धार्मिक,नदी, तालाब, पुरा सम्पदा के साथ उपखंड, तहसील, पंचायत समिति मुख्यालयों की जानकारी का समावेश है। शाहपुरा फिर से भीलवाड़ा का हिस्सा है। जबकि बदनोर उपखंड मुख्यालय भीलवाड़ा से पृथक हो कर ब्यावर जिले का हिस्सा बन चुका है। उपखंड क्षेत्र की कुल आबादी अभी अस्सी हजार है।

नई कालोनियों का अ​स्तित्व

शहर में वर्ष 2011 की आबादी करीब साढ़े तीन लाख थी। वर्ष २००० शहर में कॉलोनियों की संख्या करीब 35 थी, लेकिन वर्ष 2025 में शहर की आबादी करीब पांच लाख और कॉलोनियों की संख्या करीब 150 हो गई, इनमें अ​धिकांश कॉलोनियां बिल्डर्स ने विकसित की है। शहर की कॉलोनियां आरजिया चौराहा, नया समेलिया, आटूण,पुर, सुवाणा, पालड़ी, जोधडास तक पहुंच गई है।

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यूं बढ़ी जिले की जनसंख्या

वर्ष जनसंख्या

1931 530025

1941 632128

1951 728522

1961 865797

1971 1054890

1981 1310379

1991 1593128

2001 2013789

2011 2408561

2025 30 लाख संभावित

…………..

एक नजर प्रशासनिक ढांचे पर

मुख्यालय संख्या

लोकसभा: 01

विधानसभा: 07

उपखंड 15

तहसील 18

उप तहसील 13

पंचायत समिति 13

नगर निगम 01

नगर पालिका 10

ग्राम पंचायत: 395

राजस्व ग्राम 1948

आबाद ग्राम 1727