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एक माह पहले पहुंची पुस्तकों का अब तक नहीं हो पाया वितरण

निशुल्क पाठ्य पुस्तक वितरण कार्य में सामने आई लापरवाही-
ऐटग्रेड अभ्यास पुस्तिका के वितरण का मामला
अब परिवहन खर्च बचाने अधिकारियों ने प्रधान पाठकों की बढ़ाई फजीहत
स्वय से पुस्तकें लेकर जाने का सुनाया फरमान
स्कूल व कक्षाएं छोड़ किताबें ढो रहे प्रधान पाठक व शिक्षक

बालाघाटOct 03, 2024 / 01:18 pm

mukesh yadav

निशुल्क पाठ्य पुस्तक वितरण कार्य में सामने आई लापरवाही-

निशुल्क पाठ्य पुस्तक वितरण कार्य में सामने आई लापरवाही-

बालाघाट/खैरलांजी. शासन से स्कूली बच्चों को निशुल्क में वितरण होने वाली पाठ्य पुस्तकों के वितरण कार्य में एक बार फिर जिम्मेदारों की बड़ी लापरवाही सामने आ रही है। एक माह पूर्व पहुंची इन किताबों का अब तक वितरण नहीं किया जा सका है। वहीं किताबों को स्कूल तक पहुंचाकर देने की जिम्मेदारी संबंधित बीआरसी को दी गई है। लेकिन उन्होंने परिवहन खर्च बचाने के फेर में प्रधान पाठकों और शिक्षकों को संकुल से किताबें लेकर जाने का फरमान जारी कर दिया है। इस फरमान के बाद शिक्षकों की फजीहत भी बढ़ गई है। जिन्हें अब स्कूल और अध्यापक कार्य छोडक़र किताबें लेने कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
पूरा मामला जिले के खैरलांजी जनपद क्षेत्र से सामने आया है। यहां बीआरसी शंकरलाल भगत अपनी इस कार्यप्रणाली को लेकर सुर्खियों में बने हुए हंै।
इन पुस्तकों का होना है वितरण
मामला ऐटग्रेड अभ्यास पुस्तिका का है, जो शासन के निर्देशानुसार बीआरसी कार्यालय से स्कूल भेजी जानी थी। लेकिन परिवहन खर्च बचाने के चक्कर में बीआरसी भगत ने प्रधान पाठको को ही कार्यालय के चक्कर लगवाना शुरू कर दिया है। 30 सितंबर को संकुल अमई और खैरलांजी के दर्जनों प्रधान पाठक कार्यालय से पुस्तक लेकर जाते नजर आए। पत्रिका ने जब प्रधान पाठको से पूछा तो उन्होंने बताया कि बीआरसी ने हमें बुलाया है कि एटग्रेड की पुस्तकें ल ेकर जाएं। साथ में बोरी भी अवश्य लेकर आए। ताकि पुस्तकों को भरकर स्कूल लेकर जा सकें।
परेशान हो रहे प्रधान पाठक
बीआरसी के आदेश के बाद प्रधान पाठक बेजा परेशान हैं। जिनका कहना है कि उनकी फजीहत बढ़ गई है। उन्हें शिक्षक और स्कूल कार्य छोडक़र किताबें कलेकट करने बीआरसी व संकुल के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। इस तरह के दृश्य भी इन स्थानों पर देखे जा रहे हैं। प्रधान पाठक या शिक्षक अपने दो पहिया वाहनों से पहुंचकर लैंथ के हिसाब से किताबों का कट्ठा बनाकर स्कूल तक किताबों का ढो रहे हैं।
जून में भी समने आ चुकी लापरवाही
खैरलांजी बीआरसी की इसके पूर्व जून माह में भी इसी तरह की लापरवाही सामने आ चुकी है। शासन के निर्देश अनुसार जो प्रयास अभ्यास पुस्तिका इनको अप्रेल माह में वितरित कर देनी चाहिए थी, उसे इन्होंने 11 और 12 जून 2024 को स्कूलों में वितरित किया गया था, जो कि गलत और नियम विरुद्ध था। इसी प्रकार निशुल्क पाठ्य पुस्तकों का वितरण भी स्कूल वार न करते हुए संकुलवार किया गया था। पत्रिका में इस खबर प्रकाशन और सीएम हेल्प लाइन में शिकायत के बाद भी बीआरसी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। परिणाम स्वरूप इस तरह की लापरवाही दोबार सामने आ रही है।
गोलमाल देते रहे जवाब
इस संबंध में बीआरसी से बात की गई तो वे बहाना बनाते नजर आई। उनका जवाब रहा कि ये पुस्तकें 4-5 दिन पहले ही डिपो से आईं है। जब इस बात की पुष्टि करने हेतु उनसे पुस्तक का चालान दिखाने कहा गया तो वे दिखाने से इनकार कर गए। इसी प्रकार कुछ प्रधान पाठकों को जो किताबें लेने पहुंचे थे उन्हें वापस भेज दिया गया।
वर्सन
मामला चार तारीख की शिक्षा समिति की बैठक में उठाया जाएगा। मामला गंभीर और शंका उत्पन्न करने वाला है। बीआरसी को चालान दिखाने में क्यों परेशानी हो रही थी। मीडिया को देखने के बाद किताबों का वितरण बीआरसी ने क्यों रोक दिया। मामला बहुत ही संदेह उत्पन्न करने वाला है।
दुर्गाप्रसाद लिल्हारे, अध्यक्ष जनपद शिक्षा समिति
किताबें चार पांच दिन पुर्व ही कार्यालय पहुंची है। मैं आपको चालान नहीं दिखा सकता। किताबें दो बार ही शालावार भेजी जाती है। इसके बाद जो भी किताबें आती है, उनको प्रधान पाठक कार्यालय आकर ले जाते हंै।
शंकरलाल भगत, बीआरसी खैरलांजी

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