मामला ऐटग्रेड अभ्यास पुस्तिका का है, जो शासन के निर्देशानुसार बीआरसी कार्यालय से स्कूल भेजी जानी थी। लेकिन परिवहन खर्च बचाने के चक्कर में बीआरसी भगत ने प्रधान पाठको को ही कार्यालय के चक्कर लगवाना शुरू कर दिया है। 30 सितंबर को संकुल अमई और खैरलांजी के दर्जनों प्रधान पाठक कार्यालय से पुस्तक लेकर जाते नजर आए। पत्रिका ने जब प्रधान पाठको से पूछा तो उन्होंने बताया कि बीआरसी ने हमें बुलाया है कि एटग्रेड की पुस्तकें ल ेकर जाएं। साथ में बोरी भी अवश्य लेकर आए। ताकि पुस्तकों को भरकर स्कूल लेकर जा सकें।
बीआरसी के आदेश के बाद प्रधान पाठक बेजा परेशान हैं। जिनका कहना है कि उनकी फजीहत बढ़ गई है। उन्हें शिक्षक और स्कूल कार्य छोडक़र किताबें कलेकट करने बीआरसी व संकुल के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। इस तरह के दृश्य भी इन स्थानों पर देखे जा रहे हैं। प्रधान पाठक या शिक्षक अपने दो पहिया वाहनों से पहुंचकर लैंथ के हिसाब से किताबों का कट्ठा बनाकर स्कूल तक किताबों का ढो रहे हैं।
खैरलांजी बीआरसी की इसके पूर्व जून माह में भी इसी तरह की लापरवाही सामने आ चुकी है। शासन के निर्देश अनुसार जो प्रयास अभ्यास पुस्तिका इनको अप्रेल माह में वितरित कर देनी चाहिए थी, उसे इन्होंने 11 और 12 जून 2024 को स्कूलों में वितरित किया गया था, जो कि गलत और नियम विरुद्ध था। इसी प्रकार निशुल्क पाठ्य पुस्तकों का वितरण भी स्कूल वार न करते हुए संकुलवार किया गया था। पत्रिका में इस खबर प्रकाशन और सीएम हेल्प लाइन में शिकायत के बाद भी बीआरसी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। परिणाम स्वरूप इस तरह की लापरवाही दोबार सामने आ रही है।
इस संबंध में बीआरसी से बात की गई तो वे बहाना बनाते नजर आई। उनका जवाब रहा कि ये पुस्तकें 4-5 दिन पहले ही डिपो से आईं है। जब इस बात की पुष्टि करने हेतु उनसे पुस्तक का चालान दिखाने कहा गया तो वे दिखाने से इनकार कर गए। इसी प्रकार कुछ प्रधान पाठकों को जो किताबें लेने पहुंचे थे उन्हें वापस भेज दिया गया।
मामला चार तारीख की शिक्षा समिति की बैठक में उठाया जाएगा। मामला गंभीर और शंका उत्पन्न करने वाला है। बीआरसी को चालान दिखाने में क्यों परेशानी हो रही थी। मीडिया को देखने के बाद किताबों का वितरण बीआरसी ने क्यों रोक दिया। मामला बहुत ही संदेह उत्पन्न करने वाला है।
दुर्गाप्रसाद लिल्हारे, अध्यक्ष जनपद शिक्षा समिति
शंकरलाल भगत, बीआरसी खैरलांजी