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सावधान: दमोह में सांपों का डेरा, बारिश में बिल से निकलकर बनाते हैं लोगों को शिकार

-पिछले साल छह महीने में 312 लोग हुए थे सर्पदंश से पीडि़त
-60 से ज्यादा की इलाज से पहले हुई थी मौत, वेंटीलेटर पहुंचे 10 को डॉक्टरों ने दी नई जिंदगी

दमोहMay 15, 2025 / 11:46 am

आकाश तिवारी


दमोह. बारिश का मौसम जल्द आने वाला है। इसी के साथ सर्पदंश की घटनाएं भी बढऩा शुरू हो जाएंगी। हर साल तीन सौ से ज्यादा लोग सर्पदंश का शिकार होते हैं। झाडफ़ूक का चलन साथ-साथ चलता है। इस वजह से मौतें भी नहीं रुक रही हैं। पिछले साल की बात करें तो मई से नवंबर २०२४ में ३१२ लोगों को सर्प ने डसा था।
बताया जाता है कि २५ मरीज ऐसे थे, जो वेंटीलेटर पर चले गए थे। इनमें से १२ को जबलपुर रेफर किया गया था। खासबात यह है कि जिला अस्पताल में वेंटीलेटर पर पहुंचे १३ मरीजों का इलाज अस्पताल के डॉक्टरों ने किया, हालांकि इनमें से तीन मरीजों को डॉक्टर्स नहीं बचा पाए। इधर, जबलपुर रेफर किए गए १२ मरीजों में एक की मौत हुई है। जबकि ११ स्वस्थ्य होकर लौट आए थे।
-६० मरीजों की हुई थी मौत
पिछले साल सर्पदंश से पीडि़त ३१२ लोगों में से ६० की इलाज से पहले मौत हो गई थी। अधिकांश का झाडफ़ूक कराया गया था। इसके बाद इलाज के लिए अस्पताल लेकर आए थे, लेकिन सभी की मौत हो गई थी। इधर, इस साल २० लोग सर्पदंश से पीडि़त हुए हैं।
-यह मरीज पहुंचे थे वेंटीलेटर पर
सर्पदंश के कारण मरणानसन अवस्था में जिला अस्पताल लाए गए मरीजों में भरोसीलाल बंसवर्ती 65 निवासी केवलारी, सचिन ठाकुर, डेलन पटेल किंदराओ, हुकुम लोधी सुदक नर्दुआ, सुशीला बाई 55, संझली बहू 40 वर्ष बेलारपुर, तुलसा यादव 35 राजपुर, विनीता आदिवासी 32 बटियागढ, राधा अहिरवार 50 मडियादो, सोहनलाल आदिवासी 20 शामिल थे।
-समय पर रेफर के बाद बची जान
इधर, जबलपुर मेडिकल कॉलेज रेफर किए गए मरीजों में रोशनी साहू 20 वर्ष बटीयागढ़, चेतराम पटेल पथरिया, रोहन पटेल 23, भारत ठाकुर 45 तेंदूखेड़ा, लक्ष्मी अहिरवार 30 इमलिया, टेक राम, गोविंद राजधा, केशव गौंड, प्रकाश सिंह, नीरज गौंड, मेघा बड़ई शामिल हैं। इनमें एक की मौत हुई थी।
-अब भी गांवों में व्याप्त है अंधविश्वास
सर्पदंश के मामलों में देखा जाता है कि इलाज से पहले ग्रामीण झाडफ़ूक कराते हैं। दशकों से यह परंपरा चली आ रही है। झाडफ़ूक में वक्त जाया करने के बाद पीडि़त को अस्पताल लाया जाता है, लेकिन तब तक देर हो जाती है। ऐसी स्थिति मेें डॉक्टरों का भी जोर नहीं चल पाता है और पीडि़त की जान चली जाती है।
विशेषज्ञों की सलाह…
-बरसात में सांप अपने बिल से बाहर निकलते हैं और इनके द्वारा काटने की वारदात बढ़ जाती है।
-ज़हरीले सांप के काटने की स्थिति में तुरंत ही अस्पताल जाना चाहिए।
-झाडफ़ूक के चक्कर में समय व्यर्थ न करें। -काटे गए स्थान को ब्लेड से नहीं काटना चाहिए।
वर्शन
सर्पदंश के मामलों में यदि कोई मरीज वेंटीलेटर पर पहुंच जाता है तो उसका बचना मुश्किल होता है, लेकिन पिछले साल मैंने और टीम ने १३ मरीजों का इलाज किया, जिसमें से १० की जान बचाने में सफल रहे थे। सर्पदंश मामलों में झाडफ़ूक से बचना चाहिए।
डॉ. विक्रांत सिंह चौहान, चिकित्सा अधिकारी

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