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बरपटी में मेडिकल कॉलेज अस्पताल न शुरू होने से जिला अस्पताल को होगा 150 बेड का नुकसान

-प्रबंधन ने बढ़ती आबादी के हिसाब से शासन को भेजा है ५०० बेड स्वीकृत करने का प्रस्ताव -मेडिकल कॉलेज में इलाज सुविधा शुरू होने से जिला अस्पताल का असतित्व भी रहेगा सुरक्षित

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दमोह

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Aakash Tiwari

Sep 15, 2025


आकाश तिवारी
दमोह. बरपटी में मेडिकल कॉलेज के निर्माण का काम जारी है। ८० फीसदी काम पूरा हो चुका है। खासबात यह है कि यहां पर अस्पताल भवन बनाने के लिए जगह छोड़ी गई है। इसे भविष्य में बनाए जाने की योजना है। पर इस व्यवस्था से मरीजों को भारी परेशानी उठानी पड़ सकती है। वहीं, जिला अस्पताल का असितत्व भी खत्म हो जाएगा। मरीजों के पास भी इलाज का दूसरा विकल्प नहीं रहेगा। दमोह जिला अस्पताल की बात करें तो यहां पर सबसे महत्वपूर्ण बात जगह की कमी की है। अभी ३५० बेड का अस्पताल है। इसे ५०० बेड बढ़ाने की तैयारी चल रही है। लेकिन परिसर में जगह न होने के कारण भवन निर्माण नहीं हो पा रहा है। जैसे-तैसे यहां पर यह पूर्ति हो भी जाती है तो यहां सबसे बड़ी परेशानी वाहन पार्किंग की होगी। अभी यहां पर बमुश्किल पार्किंग के लिए जगह है। आने वाले दिनों में वाहन पार्क करने के लिए जगह नहीं रहेगी।
-जिला अस्पताल को यह होगा नुकसान
१५० बेड का घाटा:-
जिला अस्पताल प्रबंधन लंबे समय से बेड संख्या बढ़ाने के लिए शासन को पत्राचार कर रहा है। ५०० बेड बढ़ाए जाने के लिए कई बार पत्र भेजे जा चुके हैं। वर्तमान में भर्ती मरीजों के लिए पलंग कम पड़ रहे हैं। फ्लोरबेड तक लगाने पड़ रहे हैं। देर सवेर बेड संख्या बढऩे की उम्मीद है।
-नए पद नहीं हो पाएंगे श्रजित:-
२-बेड संख्या बढऩे पर शासन स्तर से सुविधाएं भी बढ़ाई जाएंगी। डॉक्टर्स, नर्सिग स्टाफ, पैरामेडिकल स्टाफ भी दिया जाएगा। लेकिन मेडिकल कॉलेज यहां संचालित होने अलग से बेड नहीं बढ़ेंगे और स्टाफ भी जस के तस रहेगा।
-भविष्य के लिए टल जाएगी मांग:-
मेडिकल कॉलेज को अस्थाई संबद्धता के लिए ५०० बेड की जरूरत है। यहां १५० बेड बढऩे से मेडिकल कॉलेज की राह तो आसान हो जाएगी, लेकिन यहां पर जिला अस्पताल को मिलने वाली सुविधाएं हाथ से निकल जाएगी।
-समाजस्य बनाना होगा मुश्किल-
चिकित्सा शिक्षा व स्वास्थ्य विभाग दोनों अलग-अलग हैं। दोनों जगहों पर अधिकारियों का अलग-अलग कैडर है। ऐसे में डॉक्टरों के बीच खींचतान देखी जा सकती है। इससे मरीजों का नुकसान हो सकता है।
-सिंगरौली जिले विरोध हुआ तो मेडिकल कॉलेज में बन रही अस्पताल
बात करें प्रदेश के छोटे जिले सिंगरौली की तो यहां भी यही दिशा निर्देश जारी हुए थे। जिला अस्पताल में ही मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर इलाज करने का फरमान था। लेकिन लेकिन इसका स्थानीय स्तर पर जमकर विरोध हुआ। लोगों का कहना था कि जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज अलग-अलग होना चाहिए, ताकि मरीजों को बेहतर इलाज मिल सके। विरोध के बाद आखिरकार शासन ने मेडिकल कॉलेज में ६०० बेड के अस्पताल के निर्माण को मंजूरी दी। अब एक साल के अंदर अस्पताल बनकर तैयार हो जाएगा।

सीएमएचओ डॉ. राजेंद्र अठ्या से सीधी बात
सवाल: जिला अस्पताल को ५०० बेड करने का प्रपोजल भेजा है?
जवाब: जी हां, मैंने इसमें सहमती दी है। प्रपोजल शासन को भेजा जा चुका है।
सवाल: मेडिकल कॉलेज का संचालन जिला अस्पताल में शुरू होता है तो प्रपोजल भी मर्ज हो जाएगा क्या?
जवाब: इस बारे में नहीं बता सकता, लेकिन मेरा मानना है कि शुरुआत होना चाहिए। ढाई सौ बेड का अस्पताल मेडिकल कॉलेज में भी बनाया जाएगा।
सवाल: जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज अलग-अलग होना चाहिए?
जवाब: हां, पर अभी बजट की समस्या है।
सवाल: विरोध के बाद सिंगरौली में मेडिकल कॉलेज में ही अस्पताल बनाने की स्वीकृति दी गई है।
जवाब: यह मालूम चला है। शासन स्तर का काम है।


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