
MP News :मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में किसान इन दिनों अपने खेतों की रखवाली देश की रक्षा करने के लिए उपयोग करने वाले तरह के रॉकेट लांचर या किसी तोपनुमा जैसे दिखने वाले जुगाड़ वाले हथियार के साथ करने को मजबूर हो रहे है। थोड़ी-थोड़ी देर में इस हथियार से किसान छोटा धमाका कर रहे है। असल में किसानों के लिए परेशानी का कारण बने घोड़ारोज, नीलगाय व जंगली सुअर से निपटने के लिए अब जिले में किसान तोप तक चला रहे है, हालांकि उनकी उपज यह जानी दुश्मन फिर भी नहीं डरता नजर नहीं आ रहा है। किसानों के अनुसार घोड़ारोज यानी नीलगाय और जंगली सूअर ने उनकी खेती पर ही रोक लगा दी है।
जिले के किसान अपनी फसलों को जंगली जानवरों खासकर नीलगाय, घोड़ारोज और जंगली सूअर से बचने के लिए इन दिनों कई तरह के उपाय करने को मजबूर हो रहे है। मध्यप्रदेश में आमतौर पर किसान अपने खेतों की फेंसिंग करवाते है और झटका मशीन का भी इस्तेमाल फसलों को बचाने के लिए करते है। लेकिन रतलाम में नीलगाय, घोड़ारोज और जंगली सूअर का आतंक इससे भी कम नहीं हो पा रहा है। इसके बाद किसानों ने जुगाड़ करके पीवीसी पाईप और गैस लाइटर की मदद से एक धमाका करने वाली तोप बना दी। इससे कार्बेट और पानी का मिश्रण डाल कर जोर से धमाका कर रहे हैं। इसकी आवाज से जंगली जानवर डरकर भाग जाते हैं।
करमदी गांव की सरपंच निष्ठा पुरोहित हो या धराड़ के किसान श्रवण पाटीदार बताते है कि अब तो नीलगाय, घोड़ारोज व जंगली सुअर इस तोप से भी नहीं डरते हैं। जिले के किसान इन मवेशियों से अपनी उपज को बचाने के लिए तरह-तरह के जुगाड़ लगा रहे है, लेकिन यह इतने चालाक हो गए कि इंसानों के हर जुगाड़ उनके सामने अब कमजोर साबित हो रहे हैं। वहीं अब तक इस मामले में सरकार की तरफ से भी किसानों को कोई मदद नहीं मिल रही है। जबकि खर्च करने के बाद भी हमें जंगली जानवरों की समस्या से निजात नहीं मिल पा रही है।
किसान राजेंद्र सिंह ने बताया कि मध्य प्रदेश विशेषकर मालवा क्षेत्र में नीलगाय और जंगली जानवरों की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। किसानों के सारे प्रयास और जुगाड़ें फेल हो रहे हैं। ऐसे में किसानों को अब सरकार से ही इस समस्या के समाधान की उम्मीद है। बेहतर है कि खेतों की फेंसिंग किए जाने के लिए कृषि विभाग से सब्सिडी योजना शुरू होनी चाहिए।
कृषि विभाग के उपसंचालक नीलम सिंह चौहान ने बताया कि रतलाम ही नहीं, पूरे संभाग में ये समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। इस मामले में पहले भी और अभी भी हो रही बैठकों में इस संबंध में कई बार कहा गया है। लेकिन, अबतक इस गंभीर समस्या को लेकर कोई ठोस कदम नहीं लिए जा सके हैं। फिलहाल, अंतिम निर्णय शासन स्तर से होना है।
Updated on:
26 Dec 2024 05:12 pm
Published on:
26 Dec 2024 05:10 pm
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